
नालंदा के हरनौत प्रखंड के एक छोटे से गांव नीमाकोल का सोनू आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उसकी हिम्मत ने उसे काफी शोहरत दिलायी। देश-दुनिया की मीडिया उसके पीछे पड़ी है। इन सबके बीच उसकी दिनचर्या बदल गयी है। पढ़ने व पढ़ाने का समय नहीं मिल रहा है। दिनभर लोगों से बात करते-करते वह ऊब गया है। उसका कहना है कि आश्वासन तो उसे बहुत मिला, पर अबतक वह काम नहीं हुआ जो वह चाहता था।
सोनू ने बताया कि पहले वह सुबह तीन बजे उठ जाता था। 3 घंटे पढ़ाई करने के बाद स्कूल जाता था। वहां से लौटकर खाना खाता और सोता था। उसके बाद तीन-चार घंटे बच्चों को पढ़ाता था। इसके बाद वह खुद पढ़ाई करता था। अब इन सबका समय ही नहीं मिल रहा है। दिनभर गांव में नेता, समाजसेवी और मीडियाकर्मियों का जमावड़ा लगा रहता है
उसे गांववालों के रवैये से भी काफी हैरानी हो रही है। उसने बताया कि गांववाले उसके विपक्ष में है। कई लोगों से उसने सुना है कि वह नाटक कर रहा है। उसके पास रुपया है पर वह पढ़ना नहीं चाहता है। इन सब बातों से वह काफी आहत है जबकिं हकीकत कुछ और ही है.
उसके मन में देश को दुनिया में नंबर वन बनाने की ललक है। उसने कहा कि शिक्षित होकर ही हम देश को आगे ले जा सकते हैं। शिक्षित होंगे तो आर्थिक रूप से भारत नंबर वन बनेगा