
सीमा की उम्र महज 10 साल है. वह नक्सल प्रभावित जमुई जिले के खैरा प्रखंड स्थित फतेपुर गांव की रहने वाली है. चार साल पहले ईंट भट्ठे पर जाने के दौरान चढ़ जाने से बायां पैर फ्रैक्चर हो गया था. जिसे डॉक्टरों की सलाह पर काटना पड़ गया. इस दर्दनाक हादसे ने मासूम का एक पैर तो छीना, उसके हौसले की उड़ान बरकरार रही. दूसरे बच्चों को स्कूल जाते देख सीमा को भी पढ़ने की इच्छा हुई. क्योंकि सीमा पढ़ लिखकर टीचर बनना चाहती है शिक्षा के जरिए अपने जैसे दूसरे बच्चों की जिंदगी की बाधाओं को दूर कर देना चाहती है.
मासूम बेटी का हौसला देख मां ने भी हार नहीं मानी और घर में रखा खाने का चावल बेच उसके लिए किताब-कॉपी खरीदींं, फिर बेटी को स्कूल भेजना शुरू कर दिया. उधर, स्कूल में एक शिक्षक की नजर दिव्यांग छात्रा पर पड़ी, तो उसने भी शिक्षा विभाग को इसकी जानकारी दी.
दरअसल, एक पैर से स्कूल जाने वाली छात्रा सीमा के पिता खीरन मांझी दूसरे प्रदेश में रहकर मजदूरी करते हैं. जबकि वह गांव में अपनी मां बेबी देवी और चार भाई भाई-बहनों के साथ रहती है. मां भी गांव के आसपास मजूदरी कर अपना घर चलाती है और बच्चों को पालती है .
वीडियो सामने आने पर सीमा की मदद के लिए बिहार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी भी आगे आए हैं. सूबे की नीतीश सरकार में मंत्री ने ट्विटर पर लिखा है. ” अब सीमा चलेगी भी और पढ़ेगी भी. जमुई जिलान्तर्गत खैर प्रखंड के फतेहपुर गांव की रहने वाली मेधावी बच्ची सीमा के समुचित इलाज की जिम्मेदारी अब महावीर चौधरी ट्रस्ट उठाएगा.”
उन्होंने आगे लिखा, ये मामला साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर सुमित कुमार सिंह के विधानसभा क्षेत्र से जुड़ा है, जिसकी जानकारी स्थानीय डीएम को भी दे दी गई. शीघ्र-अतिशीघ्र बिटिया को पटना लाया जाएगा, जहां कृत्रिम पैर के प्रत्यारोपण के बाद बिटिया अपने दोनों पैरों से चल पाएगी और शिक्षित व विकसित बिहार के निर्माण में अपनी भागीदारी निभाएगी.