मोदी सरकार सिर्फ अपने कुछ ख़ास पूंजीपतियों के लिए हीं काम करती है ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, ये खुद मोदी सरकार के आंकड़े चीख चीख के कह रहे हैं।
2014 में भाजपा ने देश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लोगो को गुमराह कर के सरकार बनाई थी। दुनिया के इतिहास में ये सबसे महंगे चुनावो में से एक था। इस चुनाव में हुए बेतहाशे खर्च के लिए जिन मित्रो से इन्होंने पैसे लिए थे, सबसे पहले लगता है इनलोगों का पैसा माफ़ कर दिया जिसका बुरा प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ा।
यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान, विभिन्न बैंकों द्वारा लगभग 2,20,328 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले गए थे, और यह आंकड़ा 2015-2019 से एनडीए शासन के दौरान बढ़कर 7,94,354 करोड़ रुपये हो गया ।
रिजर्व बैंक ने एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि उसने शीर्ष 50 बिल्कुल डिफॉल्टर्स के 68,607 करोड़ की राशि बट्टा खाते में डाल दी है। इनमें मोदी जी के ‘मेहुल भाई’ का भी नाम है। मेहुल चौकसी वही कारोबारी हैं जो बैंक लूटने और प्रधानमंत्री से नजदीकी की वजह से मशहूर हुए थे।
वित्तमंत्री ने राहुल गांधी द्वारा पूछे गए सवाल का जावा देने सेव इंकार कर दिया
वित्तमंत्री ने राहुल गांधी द्वारा पिछले बजट सत्र में संसद में 16 फरवरी, 2020 को पूछे गए प्रश्न का जवाब देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने आवेदन देकर सूचना मांगी. 24 अप्रैल को जवाब उपलब्ध कराया गया, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे शामिल हैं. आरबीआई ने कहा कि इस पूरी राशि को 30 सितंबर, 2019 तक माफ कर दिया गया है।
केंद्र की एनडीए सरकार ने पिछले 7 सालों में करीब 11 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ किए हैं, जो यूपीए सरकार के तुलना में 5 गुना ज़्यादा है। इसका खुलासा आरटीआई में हुआ है और इससे कहीं ना कहीं बैंकों के कमज़ोर हो रहे हालात के बारे में समझा जा सकता है। केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले 1 अप्रैल 2015 से 31 मार्च 2021 तक बैंकों के 11 लाख 19,482 करोड़ रुपये राइट ऑफ किये हैं यानि माफ किए हैं।
आरटीआई के तहत मिली जानकारी
साथ ही आरटीआई में यह भी पता चला है कि साल 2004 से 2014 तक केंद्र की यूपीए सरकार ने 2.22 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ किए थे, यानी मोदी सरकार में बैंक लोन 5 गुना ज्यादा राइट ऑफ हुए हैं।