
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने NITI आयोग की 8 वीं बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक नीति निर्माण के मुद्दों से ज्यादा विरोध के कारण चर्चित हो गया। नीति आयोग की इस बैठक में आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा नहीं लिया। जिसके बाद राजनीतिक हलचल और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। इस मामले में बिहार राज्य ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की पूर्व व्यस्तताओं के कारण वह कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए हैं। नीति आयोग की बैठक का आम आदमी ने खुलकर विरोध किया, जबकि अन्य राज्यों के सीएम भी विशेष कारण से अनुपस्थित रहे। हलांकि इस मोके को बीजेपी ने राजनीतिक मुद्दा बनाने का पूरा प्रयास किया और बीजेपी के नेताओं ने बयान दिये कि ये सरकारें जनता के हित से ज्यादा राजनीतिक हित को देखने में लगी हैं।
नीति आयोग की बैठक का मुद्दा और बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग
विकसित भारत के एजेंडे पर केंद्रित इस बैठक में राज्यों के विकास के माध्यम से देश के विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने पर बल रहा। हलांकि बैठक से अनुपस्थित रहने वाले एक राज्य, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के बहाने कई बार इस बात को दुहराते रहे हैं कि बिहार के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। अगर भारत तभी विकासित होगा जब बिहार का विकास होगा और बिहार के विकास के ने विशेष राज्य का दर्जा आवश्यक शर्त है।
कौन- कौन से सीएम बैठक में नहीं हुए शामिल
जिनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पं.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान एवं राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शामिल हैं।