पटना: भागलपुर के धरहरा गांव की प्रथा बेटियों के महत्व और बराबरी के लिए दुनिया के लिए एक मिसाल है । जहां एक तरफ आज के दौर में भी लड़कियों के जन्म की खुशी नहीं मनाई जाती है। बल्कि बेटी सुनते ही परिवार में मायूसी छा जाती है। धरहरा गांव इस सोच को आईना दिखाते हुए लड़का एवं लड़की में कोई अंतर नहीं करता है। गांव के लोग अपनी बेटी के जन्म के अवसर पर वृक्षारोपण का कार्य करते हैं। गांव वालों का मानना है कि लड़के और लड़कियों में कोई फर्क नहीं होना चाहिए। लड़की के जन्म के समय खासकर आम एवं लीची के वृक्ष लगाए जाते हैं। लड़की की उम्र के साथ-साथ यह पौधे भी बढ़ते रहते हैं जिससे समय के साथ यह आमदनी का एक जरिया भी बनता है।

इन फलदार पेड़ों से हुए आमदनी से लड़की की पढ़ाई के साथ-साथ उनके शादी के खर्च को भी वहन किया जाता है। महिला सशक्तिकरण का यह धरहरा मॉडल सकारात्मक पहल और पहलू को दर्शाता है। आमतौर पर लड़कियों के पालन-पोषण के साथ शादी में होने वाला खर्च परिवार के लिए एक चिंता का विषय होता है। धरहरा के लोगों ने इस चिंता का हल निकाल लिया है। बच्चे के जन्म के समय वृक्षारोपण सिर्फ इन खर्चों का एक समाधान नहीं है, बल्कि वहां के लोगों के संवेदना का एक प्रतिबिंब भी है। हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महिलाओं के उत्थान में ख़ासी दिलचस्पी से काम कर रहे हैं। जिससे बिहार की तस्वीर बदल रही है।