
मणिपुर में कुकी और मैतई जनजाति के बीच संघर्ष चल रहा है। इस संघर्ष में 125 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 50 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं। 3 मई 2023 को आदिवासी एकता मार्च के दिन हुई झड़प से हिंसा भड़की। इस हिंसा ने मणिपुर में आम जन-जीवन को पूरी तरह तबाह कर दिया है। हजारों की संख्या में लोग रिलिफ कैंप में शरणार्थियों जैसा जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
जानिए विवाद की क्या है असली वजह ?
तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने ‘आदिवासी एकता मार्च’ निकाला। ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई। ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी। इस दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई। प्रशासन की नाकामी और सरकार की उदासिनता के कारण धीरे- धीरे यह संघर्ष बढ़ता चला गया। अब दो माह होने के बाद भी इसपर न राज्य सरकार कुछ बोल रही है नहीं केंद्र में BJP सरकार ही कुछ बोल रही है।
मणिपुर(Manipur) हिंसा पर क्यों चुप हैं पीएम मोदी?
मणिपुर हिंसा दिन प्रतिदिन बड़ा रूप लेती जा रही है। लेकिन बीजेपी सरकार इसे लेकर उदासीन दिख रही है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियां पीएम नरेंद्र मोदी की इस मामले की चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं। पीएम मोदी के द्वारा मणिपुर से दूरी को लेकर बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के मणिपुर दौरा के बाद जनता भी यह सवाल पूछ रही है कि पीएम मोदी मणिपुर कब जाएंगे?