
बागेश्वर धाम प्रमुख धीरेन्द्र शास्त्री ने जब से बिहार की राजधानी पटना में अपने आगामी कार्यक्रम की घोषणा की है तब से बिहार की राजनीति गर्मा गयी है। विभिन्न राजनीतिक दल इस कथा वाचक के समर्थन और विरोध में खड़े हो गए हैं। भारतीय जनता पार्टी इस मामले का राजनीतिक फायदा लेना चाह रही है। आरोप है कि भाजपा इस आयोजन के बहाने वोटरों का ध्रुवीकरण करना चाहती है। कर्नाटक चुनाव की भांति यहां भी हनुमान जी को मुद्दा बनाकर भाजपा अपनी राजनीति रोटी सेंकना चाहती है। पटना में भाजपा कार्यालय के बाहर धीरेंद्र शास्त्री के समर्थन में भाजपा नेताओं के पोस्टर लगाए गए हैं। वहीं सूत्र बताते हैं कि इस आयोजन के सफलता की जिम्मेदारी बिहार भाजपा के दो बड़े नेताओं ने उठाई है जिससे पार्टी को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके। वहीं बिहार सरकार बागेश्वर प्रमुख के धर्म विशेष के प्रति उग्र विचारों को लेकर चिंतित है। सरकार के सामने यह राजनीति से ज्यादा लॉ एंड ऑर्डर का विषय बना हुआ है।
जदयू, राजद और भाजपा ने आखिर क्या कहा-
एक तरफ भारतीय जनता पार्टी बार-बार यह कह रही है कि धीरेंद्र शास्त्री को पटना आने से कोई नहीं रोक सकता वहीं राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेज प्रताप का कहना है कि धीरेंद्र शास्त्री धर्म के नाम पर लोगों को गुमराह करते और भड़काते हैं, इसलिए बिहार में उनका कार्यक्रम नहीं होना चाहिए। धीरेंद्र शास्त्री को लेकर इस तरह मचे घमासान के बीच जनता दल यूनाइटेड का कहना है कि लोकतंत्र में किसी को भी कही जाने आने का अधिकार है लेकिन यह बुद्ध की तपस्या स्थली और गांधी की कर्मभूमि है और दोनों अहिंसा को परम धर्म मानते थे। इसलिए धीरेंद्र शास्त्री को अपने कार्यक्रम के दौराना इन बातों का पालन करना चाहिए।
धीरेंद्र शास्त्री को लेकर क्या है विवाद और कब हुई इसकी शुरुआत
धीरेंद्र शास्त्री को लेकर विवाद की शुरुआत जनवरी 2023 में नागपुर से हुई जब एक ISRO वैज्ञानिक ने उनपर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाकर थाने में रपट लिखाई। इसके बाद धीरेंद्र शास्त्री ने नागपुर में अपने कथा कार्यक्रम को दो दिन पहले ही समाप्त कर दिया और वह अपने छतरपुर स्थित धाम चले गए। सवाल उठने लगे कि धीरेंद्र शास्त्री जो अर्जी लगाते हैं वह कोई चमत्कार नहीं है वह एक माइंड रीडिंग की स्किल है जिसके माध्यम से बाबा लोगों के मन की बात को बिना बताए समझ लेते हैं। हलांकि धीरेंद्र शास्त्री ने सदैव इस बात से इनकार किया है और उनका कहना है कि यह सब उनके इष्ट बालाजी अर्थात् हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद से सम्पन्न होता है। इस घटनाक्रम के बाद धीरेंद्र शास्त्री ने धर्म की स्थापना को लेकर कई भडकाऊ बयान भी दिये जिसके बाद इनका नाम किसी खास पार्टी से जोड़कर देखा जाने लगा लेकिन बागेश्वर धाम प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि उनकी कोई पार्टी नहीं है।