
वर्ष 2014 और 2019 के दौरान बीजेपी देश के सर्वाधिक राज्यों में स्थापित हो चुकी थी। केन्द्र में बीजेपी की विपक्षी पार्टियां कमजोर पड़ चुकी थी। इसी बीच बिहार में 2022 में बड़ा राजनीतिक परिवर्तन हुआ, नीतीश कुमार ने एनडीए गठबंधन से अलग होकर महागठबंधन के साथ बिहार में सरकार बनाई। एनडीए से अलग होते हीं नीतीश कुमार ने बीजेपी विरोधी पार्टियों को एकजुट करने का फैसला लिया। इस सिलसिले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तमाम राज्यों के सीएम और पार्टी अध्यक्षों से लगातार मुलाकात कर रहे हैं। नीतीश की साफ छवि और सामाजवादी राजनीतिक चरित्र के कारण सभी विपक्षी पार्टियों से उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है। वहीं कांग्रेस के साथ नीतीश कुमार के आने के बाद हिमाचल और कर्नाटक राज्य में बीजेपी को हार का सामना करने पड़ा है। कर्नाटक की जीत के बाद से बीजेपी के लिए दक्षिण में उसके विस्तार की संभावनाओं पर पानी फिर गया है। बीजेपी की लगातार हार से नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की योजना हर दिन मजबूत होती जा रही है।
मोदी का फिका पड़ता जादू
कर्नाटक चुनाव में बीजेपी और नरेंद्र मोदी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। फिर बीजेपी को हार का डर सता रहा था। ऐसे में बीजेपी ने हनुमान जी माला जपनी शुरू कर दी। मोदी के भाषणों में औऱ चुनाव प्रचार की गाड़ियों में हर जगह हनुमान जी ही दिख रहे थे। मतदान के बाद वोटों की गिनती हुई और कर्नाटक में हनुमान जी के कंधे पर सवार बीजेपी को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा। 224 विधान सभा सीट में से बीजेपी को सिर्फ 66 सीटें मिली, जबकि 135 सीटें जीतकर कांग्रेस पूर्ण बहुमत को प्राप्त किया। बीजेपी के इस प्रदर्शन से जनता को लगने लगा है कि मोदी लहर कमजोर हो चुकी है।