
जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार एक साथ आए। उन दिनों लालू यादव साम्प्रदायिकताकतों के खिलाफ अपनी राजनीति की जमीन तैयार कर रहे थे। ऐसे में एक सामाजवादी नेता के रूप में लालू यादव को नीतीश कुमार का साथ चाहिए था । जिससे की बिहार की राजनीति में उनकी पकड़ और मजबूत हो सके। इधर इंदिरा गांधी की राजनीति के खिलाफ खड़ा हुआ जेपी आंदोलन सफल हुआ और दिल्ली में सत्ता परिवर्तन हो चुका था। आंदोलन की उर्वर भूमि से उपजी राजनीति के दो सिपाहियों के रूप में लालू और नीतीश जाने जाने लगे थे। दोनों सियासी गाड़ी में सवार राजनीति की लम्बी यात्रा पर निकल पड़े थे।1990 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल जीती। लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने। लालू यादव की इस जीत में नीतीश कुमार ने पूरी मदद की। इस प्रकार लालू यादव का राजनीतिक सफर शुरू हुआ।
राजनीति के जय वीरू फिर से एक साथः
नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव 2013 में एक साथ फिर से आए। इस बार बिहार की राजनीति में बीजेपी की इंट्री हो चुकी थी। लालू और नीतीश की पार्टी का यह साथ 2017 तक चला। इधर खराब स्वास्थ्य के कारण लालू यादव राजनीति में कम सक्रिय रहने लगे। स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद लालू यादव ने राजनीति के पत्तों को फिर से फेंटना शुरू किया। पहले की भांति इस बार भी अपने पुराने साथी नीतीश कुमार को याद किया। नीतीश कुमार ने भी एक मजबूत राजनीतिक फैसला लेते हुए बीजेपी से गठबंधन तोड़कर महागठबंधन का एलान किया। 33 साल बाद एक फिर केंद्र की राजनीति का तख्ता पलट की योजना लिए दोनों मित्र एक साथ हो गए।
विपक्षी एकजुटता पर हो सकती है चर्चाः
लालू यादव के 73वें जन्मदिन के 12 दिन बाद अर्थात 23 जून विपक्ष की बड़ी बैठक होगी। इस बैठक में 2024 चुनाव की रूप रेखा तैयार की जाएगी। कुछ राजनीति विशेषज्ञ का मानना है कि लालू अपने जन्मदिन के मौके पर 23 जून की बैठक की पूरी रूपरेखा नीतीश कुमार के साथ मिलकर तैयार कर लेंगे।