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सूर्य मिशन Aditya L1 की रोचक बातें।भारत के लिए क्यों अहम है यह Solar Mission?

रोजाना 1440 तस्वीर भेजेगा आदित्य L1

इसरो ने देश के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य-एल1’ को प्रक्षेपित किया। आदित्य L1 का प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुआ। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित इस अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11:50 में इसकी सफल लॉन्चिंग हुई। चंद्रयान 3 की सफलता के बाद यह मिशन और भी खास बन गया है। भारत सूर्य मिशन की लान्चिंग के साथ खगोलिय खोज में नया आयाम जोड़ा है।

आदित्य एल वन की महत्वपूर्ण बातें।

यह भारत का पहला सूर्य मिशन है।

इसे PSLV रॉकेट के माध्यम से लांच किया गया।

आदित्य एल वन एक तरह का सेटेलाइट उपकरण है।

यह अंतरिक्ष के लैंग्रेजियन प्वाइंट L1 में स्थापित होगा।

एल-1 प्वाइंट की दूरी पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर है।

यह 24 घंटे सूर्य की गतिविधियों पर नजर रखेगा।

आदित्य-एल1 मिशन के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं?

ऊपरी सौर वायुमंडलीय गतिशीलता का अध्ययन।

क्रोमोस्फेरिक और कोरोनल हीटिंग का अध्ययन।

सूर्य से कण की गतिशीलता के अध्ययन का डाटा संग्रह करना।

तापमान, वेग और घनत्व से संबंधित अध्ययन।

Solar विस्फोट की घटनाओं का अध्ययन।

सौर हवा की उत्पत्ति, संरचना और गतिशीलता का अध्ययन।

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15 करोड़ किलोमीटर तय करने में कितना समय लेगा आदित्य एल वन?

#ISRO के आदित्य-एल1 मिशन का गंतव्य पृथ्वी और सूर्य के बीच एक बिंदु पर है। इस बिंदु का नाम लैग्रेंजियन बिंदु एल1 है। इसी के नाम पर सूर्य मिशन का नाम Aditya L1 रखा गया है।  लैग्रेंजियन बिंदु L1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। वहीं पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। इस हिसाब से यह  Earth से Sun दूरी का महज 1/100 वां भाग है। सूर्य के आसपास अत्यधिक तापमान और खतरनाक विकिरण होने के कारण मिशन L1 तक ही जाएगा।  इस दूरी को तय करने में आदित्य एल वन को 4 महिने से ज्यादा समय लगेगा। रिपोर्ट के अनुसार 125 दिन में आदित्य एल वन अपने तय स्थान पर पहुंचेगा।

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