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झारखण्ड के विधानसभा में नमाज़ रूम हुआ आवंटित, मामला पहुंचा हाइकोर्ट, बीजेपी करेगी सदन का घेराव

THE INDIA TOP सेंट्रल डेस्क : झारखंड विधानसभा भवन में नमाज़ अदा करने के लिए एक अलग कमरा आवंटित किया गया है | इस नमाज़ रूम को ले कर झारखण्ड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई। याचिकाकर्ता भैरव सिंह ने विधानसभा सचिवालय द्वारा 2 सितंबर को इस संबंध में जारी अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है।
याचिकाकर्ता भैरव सिंह के वकील राजीव कुमार ने कहा, ‘हमने याचिका दायर कर उस अधिसूचना को रद्द करने की मांग की है जिसमें नमाज़ के लिए अलग कमरा आवंटित किया गया है क्योंकि यह संविधान की प्रस्तावना का उल्लंघन करती है | इसमें स्पष्ट रूप से धर्मनिरपेक्षता को संविधान के संरक्षक सिद्धांतों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है। राज्य किसी भी धर्म की रक्षा या प्रचार करने में मदद नहीं कर सकता। विधानसभा एक कानून बनाने वाली संस्था और एक सार्वजनिक वित्त पोषित संस्था है।’
राज्य में नमाज़ रूम अलॉट होने ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। विपक्षी दल बीजेपी मानसून सत्र की कार्यवाही में बाधा पहुंचा रही है। पार्टी विधायकों ने सोमवार को सदन के बाहर कीर्तन किया और मंगलवार को सदन के वेल के अंदर हनुमान चालीसा का पाठ किया। वे या तो अधिसूचना रद्द करने या उनके लिए पूजा स्थल देने की मांग कर रहे हैं। हालांकि सत्तारूढ़ सरकार यह कहते हुए अधिसूचना का बचाव कर रही है कि यह कोई नई बात नहीं है और झारखंड विधानसभा में भाजपा के सत्ता में रहने के दौरान भी यह मौजूद था। इस मुद्दे को लेकर भाजपा सोमवार से राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन कर रही है। झामुमो, कांग्रेस और राजद का सत्तारूढ़ गठबंधन इस मुद्दे पर विपक्ष की बात मानने से इनकार कर रहा है। वहीं बीजेपी आज विधानसभा तक मार्च का आयोजन करेगी।
झारखंड भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य दीपक प्रकाश ने कहा, ‘आज का विरोध ‘सत्तारूढ़ सरकार की बारहमासी तुष्टीकरण की राजनीति’ के खिलाफ है। नमाज कक्ष का आवंटन पहला मामला नहीं है। हाल ही में उन्होंने नई रोजगार नीति में नौकरियों के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा में क्षेत्रीय भाषा के पेपर में उर्दू को शामिल किया है। हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन इन्होंने इससे हिंदी को हटा दिया है। दो दिन पहले एक कांग्रेस विधायक ने तालिबान का समर्थन किया लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उसपर कोई कार्रवाई नहीं की। यदि वे निष्पक्ष और धर्मनिरपेक्ष होते तो उन्हें आदिवासियों के लिए सरना और जात्रा स्थल के अलावा हिंदुओं, ईसाइयों, जैनियों को भी पूजा के लिए जगह प्रदान करनी चाहिए थी।’

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