BiharSPECIAL STORY

इस वर्ष बिहार को तीन पद्मश्री…

DESK : राष्ट्रपति भवन में हुए विशेष कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 54 लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया। इनमें मशहूर अभिनेत्री रवीना टंडन व बिहार के सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार, सुभद्रा देवी और कपिल देव प्रसाद शामिल थे। प्रसाद को कला क्षेत्र में पद्मश्री ने नवाजा गया है। केंद्र सरकार ने गंणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया था। समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और उनके बेटे अखिलेश यादव ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से यह सम्मान लिया। यूपी के मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव का पिछले साल अक्तूबर में निधन हो गया था।

संगीत के क्षेत्र में एमएम कीरावनी को प्रद्मश्री से सम्मानित किया गया। कीरावनी ने ऑस्कर विजेता गीत नाटु-नाटु की रचना की थी। चिकित्सा पेशेवर दिलीप महालनाबिस को ओआरएस पर उनके काम के लिए मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। मालूम हो कि राष्ट्रपति ने इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर 106 पद्म पुरस्कारों को मंजूरी दी थी। 52 प्रतिष्ठित हस्तियों को 22 मार्च को पुरस्कार दिए गए थे।

यह भी पढ़े : महागठबंधन ने जीते दो विधान पार्षद, राजीव रंजन ने दी बधाई..

कौन हैं कपिलदेव प्रसाद

बिहारशरीफ के बसवन बीघा गांव निवासी कपिल देव प्रसाद की पहचान इसलिए भी है, क्योंकि उन्होंने बाप-दादा से सीखे हुनर को लोगों में बांटकर रोजगार का एक माध्यम विकसित कर दिया। बावन बूटी मूलत: एक तरह की बुनकर कला है। सूती या तसर के कपड़े पर हाथ से एक जैसी 52 बूटियां यानि मौटिफ टांके जाने के कारण इसे बावन बूटी कहा जाता है। बूटियों में बौद्ध धर्म-संस्कृति के प्रतीक चिह्नों की बहुत बारीक कारीगरी होती है। बावन बूटी में कमल का फूल, बोधि वृक्ष, बैल, त्रिशूल, सुनहरी मछली, धर्म का पहिया, खजाना, फूलदान, पारसोल और शंख जैसे प्रतीक चिह्न ज्यादा मिलते हैं। बावन बूटी की साड़ियां सबसे ज्यादा डिमांड में रहती हैं, वैसे इस कला से पूर्व परिचित लोग बावन बूटी चादर और पर्दे भी खोजते हैं। कपिल देव प्रसाद के दादा शनिचर तांती ने इसकी शुरुआत की थी। फिर पिता हरि तांती ने सिलसिले को आगे बढ़ाया। जब 15 साल के थे, तभी इसे रोजगार के रूप में अपना लिया। अब तो बेटा ज्यादा काम संभालता है।

कौन हैं आनंद कुमार

श्री आनन्द कुमार बिहार के जाने-माने शिक्षक एवं विद्वान हैं। बिहार की राजधानी पटना में सुपर-३० नामक आईआईटी कोचिंग संस्थान के जन्मदाता एवं कर्ता-धर्ता है। वह रामानुज स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स नामक संस्थान का भी संचालन करते हैं। आनंद कुमार सुपर-30 को इस गणित संस्थान से होने वाली आमदनी से चलाया जाता है। आनन्द कुमार की प्रसिद्धि सुपर-३० की अद्वितीय सफलता के लिए है। वर्ष २००९ में पूर्व जापानी ब्यूटी क्वीन और अभिनेत्री नोरिका फूजिवारा ने सुपर 30 इंस्टीट्यूट पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई थी। इसी वर्ष नेशनल जियोग्राफिक चैनल द्वारा भी आनंद कुमार के सुपर ३० का सफल संचालन एवं नेतृत्व पर डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई थी।

कौन हैं सुभद्रा देवी

गांव-घर में जो काम आप बचपन में खेलने के लिए करें, अगर उसमें संभावना देखते जाएं तो कितना बड़ा नाम हो सकता है? इसका जवाब है सुभद्रा देवी। सुभद्रा देवी को पेपरमेसी के लिए पद्मश्री मिला है। पेपरमेसी मूल रूप से जम्मू-कश्मीर की कला के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन सुभद्रा देवी ने बचपन में इस कला से खेला करती थीं। सबसे पहले यह जानना रोचक है कि पेपरमेसी होता क्या है? दरअसल, कागज को पानी में गलाकर उसे रेशे के लुगदी के रूप में तैयार करना और फिर नीना थोथा व गोंद मिलाकर उसे पेस्ट की तरह बनाते हुए उससे कलाकृतियां तैयार करना पेपरमेसी कला है। सुभद्रा देवी दरभंगा के मनीगाछी से ब्याह कर मधुबनी के सलेमपुर पहुंचीं तो भी इस कला से खेलना नहीं छोड़ा। आज जब पद्मश्री की घोषणा हुईं तो करीब 90 साल की सुभद्रा देवी दिल्ली में बेटे-पतोहू के पास हैं। घर से इतनी दूरी के बावजूद वह पेपरमेसी से दूर नहीं गई हैं। वहां से भी इस कला के विस्तार की हर संभावना देखती हैं। बड़े मंचों तक इसे पहुंचाने की जद्दोजहद में रहती हैं।

Related Articles

Back to top button