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बिहार में होगा 75% आरक्षण ! बदलेगा EWS Reservation!

EWS आरक्षण को खत्म करने की उठी मांग

बिहार जातीय सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 25.9 प्रतिशत सवर्ण गरीब हैं। प्रदेश में सवर्णों की आबादी 15 प्रतिशत के आस-पास है। मतलब गरीब सवर्ण आबादी एक चौथाई यानि 4 प्रतिशत के करीब है। ऐसे में 10 प्रतिशत EWS आरक्षण को अप्रासंगिक बताया जा रहा है। सीपीआई का कहना है कि जब कौन कितना गरीब है तो इस आरक्षण में बदलाव हो।

नीतीश कुमार ने जातीगत सर्वे की आर्थिक रिपोर्ट पेश कर दी है। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन यह रिपोर्ट पेश की गई है। रिपोर्ट में जातीगत एवं वर्गवार गरीब परिवारों की संख्या बताई गई है। इस रिपोर्ट के माध्यम से अलग-अलग आय वर्ग में बांटकर अमीर गरीब की संख्या बताई गयी है। रिपोर्ट के अनुसार सवर्णों में 25.9 गरीब परिवार बताए गए हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया कि कौन-कितना गरीब है।

सवर्णों में कौन-कितना गरीब?

रिपोर्ट के अनुसार सवर्ण गरीबों में सर्वाधिक ब्राह्मण एवं भूमिहार हैं। इसमें भी गरीब ब्राह्मण परिवारों की संख्या 2,72,576(कुल ब्राह्मण का 25.32%) बताई गई है। वहीं गरीब भूमिहार परिवारों की संख्या 2,31,211(कुल भूमिहार का 27.58%) बताई गई है। जबकि गरीब राजपूत परिवारों की संख्या 2,37,412(कुल राजपूत का 24.89%) बताई गई है। सवर्णों में गरीब मुस्लिम शेख परिवारों की संख्या 2,68,398 बताई गई है। सवर्णों में सबसे अच्छी स्थिति कायस्थ समाज की बताई गई है। कायस्थ में महज 13.83 प्रतिशत परिवारों को गरीब बताया गया है।

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EWS को लेकर सदन में क्या चर्चा हुई?

इस रिपोर्ट के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया। महागठबंधन सरकार की सहयोगी सीपीआई(एमएल) ने EWS को खत्म करने की मांग कर दी। सीपीआई का कहना है कि गरीबों को आबादी के अनुसार आरक्षण मिले। रिपोर्ट के अनुसार गरीब सवर्णों की कुल आबादी 4 प्रतिशत से भी कम है। ऐसे में सीपीआई ने मांग की है कि सरकार EWS खत्म करे।

हलांकि जाति आधारित जनगणना की डिटेल रिपोर्ट मंगलवार को विधानसभा में पेश हुई। इसपर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री Nitish Kumar ने बड़ी बात कही। सीएम नीतीश ने राज्य में आरक्षण को 50 फीसदी से बढ़ाकर 75 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा। नीतीश कुमार ने बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 50 से 65 करने का प्रस्ताव रखा। जिसमें  ईडब्ल्यूएस के 10 फीसदी को मिलाकर आरक्षण 75 फीसदी प्रस्तावित किया गया।  

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