Bihar

सुर्खियों में बना राजीव नगर, बुलडोजर से क्यों ध्वस्त किए जा रहे आशियाने, जानें पूरी कहानी

बिहार की राजधानी पटना का राजीव नगर इलाका इन दिनों सुर्खियों में है. इसका कारण है यूपी के बुलडोजर मॉडल की तर्ज पर इलाके में जमींदोज किये जा रहे अवैध मकान. पटना के राजीव नगर में अतिक्रमण हटाओ अभियान सोमवार को दूसरे दिन भी चालू है. इससे पहले रविवार को एक ही दिन में प्रशासन के बुलडोजर ने 70-80 मकानों को देखते ही देखते ध्वस्त कर दिया. लोगों के विरोध के बावजूद पुलिस ने बल प्रयोग किया और लाठीचार्ज कर लोगों को खदेड़ दिया, इसके बाद प्रशासनिक टीम भारी संख्या में पुलिस के जवानों के साथ बुलडोजर और पोकलेन समेत राजीव नगर में प्रवेश कर गई. राजीव नगर में अतिक्रमण हटाने का अभियान आज दूसरे दिन भी लगातार जारी है.

बुलडोजर और पोकलेन की मदद से नेपाली नगर में अतिक्रमण हटाया जा रहा है. एक दर्जन से अधिक बुलडोजर और तीन पोकलेन मशीनों की मदद से अतिक्रमण हटाया जा रहा है. पूरे इलाके में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. डीएम और एसएसपी खुद सारी कार्रवाई का नेतृत्व कर रहे हैं. डीएम ने कहा है कि 20 एकड़ पर पूरी तरीके से कब्जा लगभग कर लिया गया है और आगे और भी कार्रवाई जारी रहेगी. डीएम की मानें तो अगले कुछ दिनों में 40 एकड़ पर कार्रवाई शुरू हो जाएगी.

बुलडोजर और पोकलेन की मदद से नेपाली नगर में अतिक्रमण हटाया जा रहा है. एक दर्जन से अधिक बुलडोजर और तीन पोकलेन मशीनों की मदद से अतिक्रमण हटाया जा रहा है. पूरे इलाके में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. डीएम और एसएसपी खुद सारी कार्रवाई का नेतृत्व कर रहे हैं. डीएम ने कहा है कि 20 एकड़ पर पूरी तरीके से कब्जा लगभग कर लिया गया है और आगे और भी कार्रवाई जारी रहेगी. डीएम की मानें तो अगले कुछ दिनों में 40 एकड़ पर कार्रवाई शुरू हो जाएगी.

इस जमीन पर अब सैकड़ों मकान बन चुके हैं. इन मकानों में नेता, मंत्री, जज और आईएएस से लेकर आइपीएस तक के मकान भी शामिल हैं. दरअसल आवास बोर्ड ने 1974 में राजीव नगर में 1024 एकड़ में आवासीय परिसर बसाने का निर्णय लिया था. इसके लिए बोर्ड की ओर से जमीन भी अधिग्रहित की गई लेकिन किसानों से जमीन अधिग्रहण में भेदभाव और सही मुआवजा नहीं देने का आरोप लगा था. इसको लेकर पटना हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम सुप्रीम कोर्ट तक सुनवायी हुई. किसानों का दावा रहा है कि कोर्ट ने आवास बोर्ड को जमीन अधिग्रहण में भेदभाव दूर करने एवं किसानों को सूद सहित मुआवजा देने का निर्देश दिया था लेकिन आवास बोर्ड की अनदेखी की वजह से किसानों ने निजी हाथों में यहां के जमीन की खरीद बिक्री शुरू कर दी.

यहीं से राजीव नगर का विवाद लगातार बढ़ते गया. फिलहाल यहां 1024 एकड़ में हजारों मकान बन चुके हैं लेकिन तब के अधिग्रहित जमीन जहां-जहां जमीन आज खाली दिखती है जहां बसावट कम दिखती सरकार अपने हिसाब से जमीन को अपने कब्जे में लेकर जिस विभाग को जमीन की जरूरत होती है उसे दे देती है. पिछले साल इसी राजीव नगर में सरकार ने जमीन को खाली कराकर एसएसबी को तकरीबन 6 एकड़ जमीन और CBSC बोर्ड को 2 एकड़ जमीन दी गई थी, साथ ही राजीव नगर में थाना बनाने के लिये 2 एकड़ जमीन खाली कराया गया था.

इन तीनो विभागों को जमीन दे दी गई, जिसमें राजीव नगर थाना बनकर तैयार भी हो गया था. बाकी दोनों विभागों का ऑफिस बनेगा और अभी कल से जो जमीन खाली कराई जा रही उसमे जानकारी के मुताबिक न्यायिक ऑफिसर ओर जज के लिए मकान बनने हैं

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