
दो अक्टूबर को बिहार सरकार ने जातीय गणना के आंकड़े दारी किए। जातीय गणना की रिपोर्ट को लेकर सियासी माहौल गर्म है। इस बीच नीतीश कुमार की ओर से एक सर्वदलीय बैठक की घोषणा हुई। इस बैठक में 9 पार्टियों के नेता शामिल हुए। हालांकि, बैठक में लोजपा नेता चिराग पासवान शामिल नहीं हुए। इसके बाद राजनीतिक गलियारे में एक नई चर्चा शुरू हो गई। हलांकि चिराग पासवान के नहीं आने का कारण अभी पता नहीं चल पाया है
सर्वदलीय बैठक में कौन सी मांगें उठी?
सीएम की नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक संपन्न हुई। यह बैठक सीएम सचिवालय में आयोजित की गई थी। बैठक में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के अलावा और भी 9 पार्टियों के नेता शामिल हुए थे। विपक्ष ने मांग रखी जाति आधारित गणना पर आ रही आपत्तियां का निराकरण हो। विधान परिषद में विरोधी दल के नेता हरि सहनी ने उपजातियों के मसले पर आपत्ति जताई। मल्लाह जाति की उपजातियां को उससे अलग किया गया, जिसकी वजह से आंकड़े ठीक नहीं आए।
वहीं हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी ने भुइयां जाति और उसकी उपजातियों को लेकर सवाल उठाए। इन्हें अलग-अलग कैटेगरी में रखे जाने पर मांझी ने आपत्ति जताई। AIMIM के नेता अख्तरुल इमान ने सरकार से कहा कि मुसलमानों पर अपनी बात रखी। कहा कि मुसलमानों को जातियों में बांटना अनुचित है। AIMIM ने मुसलमानों के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाने की बात कही।
जातीय गणना की रिपोर्ट पर किसने क्या कहा?
सीएम नीतीश कुमार ने जातीय गणना को ऐतिहासिक बताया। कहा कि बिहार आजादी के बाद ऐसा करने वाला पहला राज्य है। इस आंकड़े से विकास योजनाएं और सटीक होंगी।उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि जातीय आंकड़े से विकास को गति मिलेगी। तेजस्वी ने कहा कि समाज में जो वर्ग वंचित रह गया है उसको इससे फायदा होगा। राजद ने इस मौके पर स्व मुलायम सिंह यादव और शरद यादव का स्मरण किया। राजद के अनुसार इन्होंने सबसे पहले जातीय गणना की मांग रखी थी।
लालू यादव ने इस बहाने एक बार फिर बीजेपी पर निशाना साधा। लालू यादव ने कहा कि बीजेपी की अनेक साजिशों एवं कानूनी अड़चनों को हमने पार किया। तमाम अड़चनों को पार कर हमने जातीय सर्वे जारी किया। वहीं एनडीए की तरफ से बीजेपी ने कहा कि यह राजनीति प्रभावित आंकड़ा है। वहीं रालोजद ने कहा कि आंकड़ों को लेकर शंका है जिसे ठीक किया जाना चाहिए।