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पटना पहुंचे पशुपति पारस ने चिराग पासवान को दी बड़ी नसीहत, केंद्रीय मंत्रिमंडल पर भी खुलकर बोला

रामविलास पासवान के निधन के बाद से ही लोजपा दो भाग में बंट गई है। एक तरफ चिराग उसे अपनी पार्टी बताते नहीं थक रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ सांसद पशुपति ने खुद को लोजपा का प्रमुख बताते हुए चिराग को एक तरह से पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। फिलहाल आगामी 5 जुलाई को स्वर्गीय रामविलास पासवान की जयंती है। इसको लेकर सभी बड़े दल अपनी रोटी सेंकने की तैयारी कर चुके हैं। एक तरफ जहां इस दिन चिराग पासवान ने आशीर्वाद यात्रा शुरू करने का फैसला लिया है, तो वहीं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी रामविलास पासवान की जयंती भव्य तरीके से मनाने का निर्णय लिया है। इनसब के बीच शुक्रवार को पटना पहुंचे सांसद पशुपति पारस ने चिराग पासवान को नसीहत देते हुए बड़ी बात कह दी।

शुक्रवार दोपहर को पटना पहुंचते ही लोजपा सांसद पशुपति पारस मीडिया से मुखातिब हुए और कई मुद्दों पर अपना पक्ष रखा। रामविलास पासवान की जयंती को लेकर उन्होनें कहा कि ‘हमलोग वृहद तरीके से रामविलास पासवान जी की जयंती का आयोजन करने वाले हैं। इस मौके पर समूचे बिहार से लोग आएंगे और जयंती कार्यक्रम में शामिल होंगे। हमारी तरफ से वृहद तरीके से तैयारी जारी है’। वहीं जयंती को लेकर हुए विवाद पर उन्होनें स्थिति साफ करते हुए कहा कि ‘किसी से भी कोई विवाद नहीं है। सभी का मकसद एक ही है। सभी को जयंती मनाने का अधिकार है। इतना ही नहीं पूरे देश में रामविलास पासवान की जयंती मनाई जाएगी।

वही चिराग पासवान को लेकर उन्होनें बहुत बड़ी बात कह दी। पशुपति पारस ने कहा कि ‘चिराग पासवान रामविलास जी के बेटे हैं। उनको भी जयंती मनाने का अधिकार है। मैं रामविलास जी का भाई हूं। मेरा भी अधिकार है, मैं भी अपन स्तर से आयोजन करूंगा’। वहीं चिराग के आशीर्वाद यात्रा के बारे में पूछे जाने पर उन्होनें कहा कि ‘उनकी आशीर्वाद यात्रा निकालना अच्छी बात है। हालांकि उनको आशीर्वाद यात्रा निकालने से अच्छा श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करना चाहिए। जब रामविलास जी रहे ही नहीं तो किस बात की आशीर्वाद यात्रा? जमुई चिराग की कर्मभूमि है, इसलिए उन्हें हाजीपुर की बजाए जमुई से आशीर्वाद यात्रा की शुरूआत करनी चाहिए। वहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार पर सांसद पशुपति पारस बोले कि यह तो प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है। किसको क्या विभाग मिलेगा, यह फैसला प्रधानमंत्री ही करेंगे। दावेदारी होने से कुछ नहीं होता है।

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