Bihar

मुखिया जी अब युवाओं को बनाएंगे IAS- IPS, बोले- पढ़ाई में पैसा बाधा नहीं बनेगा

मुखिया जी अब सड़क के साथ-साथ बच्चों को आईएएस और डिप्टी कलक्टर भी बनाएंगे। ऐसे मेधावी मुखिया के बारे में आपने शायद ही सुना होगा। वे पढ़ाते तो वे पहले भी रहे हैं, लेकिन इस बार अपना कोचिंग संस्थान पटना के अशोक राजपथ पर खोला है। जिस सिंहवाहिनी पंचायत से अरुण कुमार मुखिया हैं वहां से सोशल एक्टिविस्ट रितु जायसवाल मुखिया फेम रह चुकी हैं। टर्म पूरा होने के बाद वहां से रितु के पति अरुण कुमार ने मुखिया का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी।

मुखिया का दायित्व बड़ा है। ऐसे में वे पटना में कैसे अपने कोचिंग संस्थान को समय दे पाएंगे? वे कहते हैं कि सिस्टम काम करता है। मुझसे पहले रितु जायसवाल ने पांच वर्षों में सिंहवाहिनी पंचायत में काफी काम किया और कार्यपद्धति के लिए एक सिस्टम डेवलप किया। इसमें सोशल ऑडिट को काफी तरजीह दी। कहते हैं कि चूंकि किसी से कोई घूस लेना नहीं है बल्कि जो अफसर घूस ले उसे जनता के साथ मिलकर मजा चखाया जाता है। कहते हैं कि वीआरएस के बाद मैं मेंटरशिप प्रोग्राम दे रहा था, लेकिन अब अशोका सिविल सर्विसेज के जरिए युवाओं को पढ़ाऊंगा। सिंहवाहिनी में रितु जायसवाल ने ऐसा सिस्टम दिया है कि मुखिया का काम करने के बाद भी मुझे पांच-छह घंटे समय मिल जाते थे पढ़ाने के लिए। बातचीत में वे कहते हैं कि उनके कोचिंग संस्थान में सिंहवाहिनी की जनता के लिए तो दरबार खुला हुआ है ही बिहार का कोई भी युवा जो आगे बढ़ना चाहता है उनके लिए स्कॉलरशिप प्रोग्राम चलाऊंगा। धन कहीं से आगे बढ़ने में बाधा नहीं बनेगा, मैं आश्वस्त करता हूं।

मुखिया फेम रहीं रितु जायसवाल कहती हैं कि जब से मेरी शादी हुई तब से मेरे पति अरुण कुमार कहते रहे कि मुझे नौकरी छोड़नी है और युवाओं को पढ़ाना है। इसलिए इन्होंने पहले तो वीआरएस लिया और अब पढ़ाने के काम में लग गए हैं। कहती हैं कि मुखिया पद की जिम्मेदारी तो इन पर है ही साथ ही उन युवाओं की जवाबदेही भी है जो बेरोजगार हैं और आगे बढ़ना चाहते हैं। कहती हैं कि सिस्टम काम करता है। हमारे पंचायत में सीए की ऑडिट से पहले जनता ऑडिट करती है। काम जनता खुद ही करवाती है। मैं सिंहवाहिनी में खुद भी रहूंगी और देखूंगी कि सब कुछ ठीक से हो रहा है कि नहीं!

बता दें कि अरुण कुमार 1995 बैच के अफसर हैं। उनकी पहली जॉइनिंग नागपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में हुई थी। कारगिल युद्ध के समय बोफोर्स एम्यूनिशन में भी उन्होंने काफी योगदान दिया। वे दिल्ली में सेंट्रल विजिलेंस कमीशन के डायरेक्टर के पद पर थे। वहीं, कमिश्नर डिपार्टमेंटल इन्क्वायरी भी थे। उसके बाद नौकरी से वीआरएस ले लिया और अब युवाओं को यूपीएससी, बीपीएससी आदि परीक्षाओं की तैयारी करवाएंगे

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