
Patna : बिहार की आब-ओ- हवा में न केवल बौद्धिक संपदा के गहरे खादान हैं बल्कि यहां की माटी और मसालों से उपजे व्यजनों की खुशबू व चटकारे दूर देश में लिए जाते हैं। 300 से भी ज्यादा जायकेदार बिहारी व्यंजन का मेन्यू दुनियाभर की तालियों में बड़े शौक से परोसे जाते हैं।
लिट्टी-चोखा की लोकप्रियता से भला कौन किनारा कर सकता है। वहीं मुजफ्फरपुर की लीचियां विश्वपटल पर बिहार की मिठास बांट रही हैं। बिहारी गौरव में पौष्टिकता का पुट डालने में मनेर के लड्डू और गया के तिलकुट का अपना अलग अंदाज है। बिहार की भरीपूरी संस्कृति में खाने के खजाने का जो योगदान है, वो अद्भुत व अद्वतीय है। यही व्यंजन देश और दुनिया के तमाम हिस्सों में रह रहे बिहारियों की भावनाओं को अपनी जमीन और संस्कृति से जोड़ने के लिए एक सेतु का काम कर रहे हैं। सिलाओ का खाजा व ठेकुए का नाम लेते ही हमारे बिहारीपन में जो इजाफा होता है, वही बिहारी गौरव का सबसे जीवंत उदाहरण है। जीवन के कठिन डगर में एक रोशनी जो हमें हिम्मत देती है, ताकत देती है। अपने सत्तू में भी वही अदा है। पैडल पर जोर लगाता एक थका मेहनतकश बिहारी हो या सिविल सेवा में प्रशासन का मोर्चा संभाल रहा बिहारी, सत्तू अपने सात्विकपन से असीम ऊर्जा प्रदान करता है।
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहारी व्यंजन को अस्मिता से जोड़कर देखते हैं। उनका मानना है कि बिहार का गौरव बनाए रखने के लिए हर थाली में बिहारी व्यंजन की पहुंच सुनिश्चित हो। हमारे व्यंजन सामाजिक भेदभाव खत्म करने का संदेश देते हैं। चंपारण की लजीज हांडी भला किसे अजीज नहीं। चंपारण के हांडी की महक दुनियाभर में पहचानी जाती है। बिहारी स्वाभिमान व स्वावलंबन की धुरी बन चुका मखाना आज दुनिया को न सिर्फ आपूर्ति कर रहा है बल्कि बिहार के नाम एक नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।