
बिहार में पीछले दिनों से राजनीतिक हलचल तेज है। कहा जा रहा है कि जदयू में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। चर्चा का बाजार एक बार फिर से गर्म है कि नीतीश कुछ नया करने वाले हैं। वहीं दूसरी तरफ ललन सिंह की राजद के करीब होने की खबरें भी सुर्खियां बटोर रही हैं।इन खबरों के बीच नीतीश का मंत्रिमंडल बैठक बुलाना भी काफी चर्चा में रहा। वहीं आशोक चौधरी और ललन सिंह की आपसी तनातनी की खबर भी सामने आई।
कहां से शुरू हुआ अफवाहों का बाजार?
बीते दिनों इंडिया गठबंधन की दिल्ली बैठक आयोजित हुई। दिल्ली बैठक में जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की जगह संजय झा पहुंचे। वहीं नीतीश कुमार की सक्रियता भी इस बैठक के दौरान कम दिखी। इधर दिल्ली बैठक से पहले नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी की एकल बैठक बुलाई। बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह नहीं आये। जिसके बाद से खबर फैलने लगी कि ललन सिंह राजद खेमे में ज्यादा समय दे रहे हैं। हलांकि बाद में उनके डेंगू से पीड़ित होने की खबर सामने आई।
इस घटना के बाद जदयू को राजद में विलय करने की अफवाह भी सामने आई। इसमें ललन सिंह पर विपक्षी पार्टियों ने खूब आरोप मढे। रालोजद के उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि ललन सिंह जदयू को तोड़ना चाहते हैं। जदयू के नेताओं में भारी असंतोष का महौल है। ज्यादातर नेता दूसरी पार्टियों के संपर्क में हैं। खुद ललन जी भी जदयू कार्यालय से ज्यादा राबड़ी-लालू आवास पर समय बिता रहे हैं।
इन घटनाक्रम के बीच में ही नीतीश कुमार के राबड़ी देवी से मुलाकात की। अगले दिन मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई गयी। लोगों को लगा कि शायद नीतीश जी कुछ बड़ा करने वाले हैं। लेकिन इसी बीच तेजस्वी यादव के बाहर रहने के नाम पर बैठक स्थगित हो गई। नीतीश जी ने कहा कि हर रोज मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होता है। इस बैठक से सहयोगी कांग्रेस पार्टी काफी उम्मीद लगाए बैठी थी। हो सकता है कि बिहार कांग्रेस इस फैसले से खुश नहीं रही हो।
क्या सच में अशोक चौधरी और ललन सिंह की तकरार हुई?
मीडिया रिपोर्ट और जदयू नेताओं के माध्यम से इस बात की पुष्टि हुई है। कहा जा रहा है कि किसी बात को लेकर ललन सिंह ने अशोक चौधरी को चुप रहने के लिए कहा था। इसके बावजूद अशोक चौधरी अपनी बात रख रहे थे। दोनों में बहस हुई । बहस बढ़ने पर अशोक चौधरी ने कहा कि मैं जो बोल रहा हूं वो नीतीश जी ने कहा है। इसके बाद मामला शांत हो गया। लेकिन पार्टी के अंदर नेताओं की तकरार बढ़ती दिख रही है।
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