
पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद नागरिकों के स्वास्थ्य में बेहतरी, परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार, पारिवारिक हिंसा एवं घरेलू कलह में कमी तथा सामाजिक अपराधों में भारी कमी आई है।अब घर की महिलाएं गरिमापूर्ण जीवन जी रही हैं। बच्चे पढ़-लिख रहे हैं। सड़क दुर्घटनाओं में भी काफी कमी आई है। समाज खुशहाल हुआ है। शराबबंदी का निर्णय एक सामाजिक अभियान में बदल चुका है। समाज अधिक सशक्त, स्वस्थ एवं संयमी हो रहा है। समाज में आ रहे बदलावों का कई संस्थानों द्वारा अध्ययन किया गया है।

शराबबंदी के बाद सरकार के द्वारा जागरूकता के लिए विभिन्न कदम उठाए गए:-
1अप्रैल, 2016 से देशी शराब एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्ण शराबबंदी तथा 5 अप्रैल, 2016 से महिलाओं की भारी माँग पर पूरे राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू की गयी है।
21 जनवरी, 2017 को 4 करोड़ से अधिक लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर अपार जनसमर्थन व्यक्त किया। प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को नशामुक्ति दिवस प्रभावी ढंग से मनाने का निर्णय लिया गया है।
पुनः नशा मुक्ति के पक्ष में 19 जनवरी, 2020 को राज्य में 18 हजार किलोमीटर से अधिक लम्बी मानव श्रृंखला बनी जिसमें 5 करोड़ 16 लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया जो विश्व रिकार्ड है।
प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को नशामुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
लोग कहते हैं कि शराबबंदी का फैसला बिलकुल गलत है, लेकिन इस शराबबंदी का पालन लोग करेंगे तो कितना लोगों को फायदा होगा। आइए हम जानते हैं कि शराबबंदी का पालन करेंगे तो लोगों को कितना फायदा होगा:-
आर्थिक प्रभाव:
खाद्य पदार्थों एवं गैर खाद्य पदार्थों का सेवन 30 प्रतिशत तक बढ़ गया है। शराब पर प्रतिबंध से जिन पैसों की बचत होती है उन्हें हरी सब्जियों, दूध,मछली-मीट, प्राइवेट ट्यूशन, अच्छे कपड़ों और यहां तक कि बच्चों के नाश्ते तक में खर्च किया जा रहा है।
19 प्रतिशत लोगों ने नई संपत्ति अर्जित की। कुल उत्तरदाताओं में से 5 प्रतिशत ने अपने मकान के नवीनीकरण में राशि खर्च की।
मद्य-निषेद्य के बाद 84 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उनकी बचत बढ़ गई है। 31 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उनकी घरेलू आय मे वृद्धि हुई है।
शराब बनाने के पारंपरिक धंधे से जुड़े समुदाय की महिलाओं ने घरों में तथा बाहर हिंसा घटने पर प्रसन्नता जताई।