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मांग: भोजपुरी को मिले संवैधानिक दर्जा, दुनियाभर में हैं भोजपुरी भाषी..

DESK : महात्मा गांधी ने मातृभाषा के प्रति कृतज्ञ होने की बात कही है। इसी भावना के साथ पिछले पांच दशक से करोड़ों भोजपुरी भाषी एक आस लगाए बैठे हैं कि ‘भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा मिले’। उसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।

लेकिन अफसोस! कि अब तक यह आस पूरी नहीं हो सकी है। दूसरे देशों ने तो इसे मान्यता दे दी लेकिन अपने देश में अब तक भोजपुरी उपेक्षित है। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उनकी सरकार भोजपुरी को उसका अधिकार दिलाने के लिए मुखर होकर इसकी मांग करती रहती है।

संविधान की आठवीं अनुसूची में देश की 22 भारतीय भाषाएं हैं। पहले मूल रूप से इसमें 14 भाषाएं थीं, 2004 में मैथिली, संथाली, डोगरी और बोडो को भी राजभाषा का दर्जा मिला। इसके बाद नीतीश मंत्रिमंडल ने 2017 में भोजपुरी को संवैधानिक अधिकार देने के लिए केंद्र को एक प्रस्ताव भी भेजा था। देश में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश में यह प्रमुखता से बोली जाती है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के साथ दुनिया के करीब 8 देश ऐसे हैं, जहां यह धड़ल्ले से बोली और सुनी जाती है।

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जून 2011 में मॉरीशस की संसद में इसको राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया गया, यहां तीन लाख से ज़्यादा भोजपुरी भाषी हैं। इसी तरह भोजपुरी फिजी देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। यहां इसको फिजियन हिंदी या फिजियन हिन्दुस्तानी के नाम से जाना जाता है। इस तरह के अनेक देश हैं जहां इसको बोलने और समझने वालों की संख्या लाखों में है, जिनमें सूरीनाम, गुयाना प्रमुख रूप से हैं। 30 हजार करोड़ के सिनेमा का बाजार इस भाषा की व्यापकता का जीवंत प्रमाण है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 150 से अधिक वेबसाइट व टीवी के 52 चैनल इस समय इस भाषा में उपलब्ध हैं।

बिहार सरकार इसको को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रयास कर रही है ताकि भोजपुरी भाषियों को अपनी भाषा में पढ़ने और परीक्षा देने का अवसर मिले। यूपीएससी जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में यह एक भाषा के रूप में शामिल हो सके। संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद भोजपुरी के विकास के लिए सरकारी अनुदान मिल सकेगा। इससे इस भाषा साहित्य में नए शोध होंगे जिससे इसकी मान्यता और व्यापक होगी। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के लिए फिल्में भी प्रतिभाग कर सकेंगी। भोजपुरी भाषी इसी उम्मीद में है कि जल्द से जल्द इसको संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर राजभाषा का दर्जा दिया जाए।

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