Bihar

कर्तव्यहीनता के आरोप में आरा सदर सीओ निलंबित, डीएम की रिपोर्ट पर विभाग ने की कार्रवाई, निलंबन की कार्रवाई के बाद अधिकारियों में खलबली

आरा : कर्तव्यहीनता के आरोप में आरा सदर के सीओ प्रवीण कुमार पांडेय को राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने निलंबित कर दिया है। निलंबन का पत्र गुरुवार को जिला मुख्यालय में पहुंचा है। विभाग ने यह कार्रवाई डीएम रोशन कुशवाहा के आरोप पत्र प्रपत्र क के आधार पर की है। आरा सदर के सीओ के निलंबित होने के बाद जिले के अधिकारियों में खलबली मच गई है। विभाग ने निलंबन अवधि में जीवन निर्वाह भत्ता देने का आदेश जारी किया है। निलंबन के आदेश की प्रतिलिपि संबंधित विभागों के पदाधिकारियों को भेजी गई है। बता दें कि डीएम ने अपने पत्रांक 1973, दिनांक 26 जुलाई को आरा सदर के सीओ प्रवीण कुमार पांडेय के विरुद्ध आरोप पत्र समर्पित किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सीओ की ओर से समीक्षात्मक बैठक से संबंधित प्रतिवेदन बार-बार स्मारित करने के बाद भी समय पर उपलब्ध नहीं कराया जाता था। इसके अलावा सक्षम प्राधिकार से बिना अनुमति के मुख्यालय से बाहर रहने, सरकारी कार्यों में लापरवाही बरतने, कार्य में रुचि नहीं लेने, दाखिल-खारिज वादों को लंबित रखने, बकरीद पर्व के अवसर पर विधि-व्यवस्था एवं शांति व्यवस्था संधारण हेतु निर्गत जिला संयुक्त आदेश में दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुपालनार्थ खोजबीन करने पर अनुपस्थित रहने, सरकारी व निजी मोबाइल बंद रखे जाने और दाखिल-खारिज को पहले अस्वीकृत कर पुनः स्वीकृत करने जैसे कतिपय गंभीर आरोप लगाये गये हैं।

कार्रवाई को लेकर होती रही चर्चा…

आरा सदर के सीओ प्रवीण कुमार पांडेय के निलंबन को लेकर शहर में पूरे दिन चर्चा का बाजार गर्म रहा। चर्चा की मानें तो एक जनप्रतिनिधि के दबाव में आकर अफसरों ने प्रपत्र क गठित कर राजस्व व भूमि सुधार विभाग को भेजा था, जिसके आधार पर निलंबन की कार्रवाई की गाज गिरी। सूत्रों के अनुसार भू माफियाओं से जुड़े गलत कार्यों को नहीं करने के कारण दबाव बनाया जा रहा था, जिसे करने से सीओ ने कई बार इनकार कर दिया था। तब से ही हटाने की रणनीति अपनाई गई थी।

अधिकारियों के लिए भी परेशानी बन गये थे सदर सीओ…

सूत्रों के अनुसार आरा सदर के सीओ जिले के प्रमुख अधिकारियों के लिए राह का रोड़ा बन गए थे। इस पूरे प्रकरण में जमीन फर्जीवाड़ा के मामले की जोरदार चर्चा है। उनके आदेशानुसार जमीन का गलत दाखिल-खारिज समेत अन्य रिपोर्ट नहीं देने के कारण उनके विरुद्ध कार्रवाई का कुचक्र रचा गया। अंततः निलंबन की गाज गिरी।

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