
बिहार में बढ़ते अपराध की रोकथाम के लिए बिहार पुलिस मुख्यालय ने कमर कस ली है. राज्य के पुलिस महानिदेशक संजीव कुमार सिंघल के द्वारा पुलिस के काम में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों पर भी नकेल कसी जाएगी. पुलिस मुख्यालय द्वारा सभी ऐसे थानों की समीक्षा की गई जहां पर 100 से अधिक कांड जांच को लेकर लंबित हैं.
इसके अलावा पुलिस मुख्यालय द्वारा 5000 लंबित वाले 15 जिलों और 3000 से 5000 लंबित वाले 6 जिलों और 2000 से 3000 तक लंबित मामला वाले 8 जिलों की समीक्षा की गई है. पुलिस मुख्यालय द्वारा अलग-अलग चिन्हित किए गए 30-30 थानों पर भी बात हुई. समीक्षा के क्रम में क्षेत्र जिला थाना अपराध की तुलनात्मक विश्लेषण और निरोध के लिए अपराध अनुसंधान विभाग के स्तर से कार्रवाई के विषय पर भी चर्चा की गई.
आंकड़ों के अनुसार मुख्य अपराधी डकैती, लूट, चोरी, दंगा, अनुसूचित जाति के विरुद्ध अपराध, हत्या, अपहरण का राष्ट्रीय अपराध दर के आधार पर बिहार की स्थिति के आंकड़ों का अवलोकन किया गया. इसके बाद विभिन्न गंभीर मामले जैसे बैंक डकैती, लूट, डकैती, आभूषण दुकानों संबंधित घटना व सीसीटीवी से संबंधित नोटिस, वांछित अपराधी की सूची तैयार कर विशेष टीम के द्वारा जांच कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं.बिहार के टॉप थाने चिन्हित किए गए हैं, जहां अपराध की दर अधिक अंकित की गई है. अपराध के प्रमुख केसों में साल 2019, 2020 से 2021 में प्रतिवेदित कांडों का तुलनात्मक आंकड़ा प्रस्तुत किया गया. गंभीर कांडों के अनुसंधान और उद्भेदन के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करने तथा अपराध अनुसंधान विभाग के द्वारा कृत कार्रवाई की गई.
इसके अलावा विभिन्न पुलिस क्षेत्र और बिहार पुलिस अकेडमी में क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित किए जाने के संबंध में भी चर्चा की गई. काम में लचर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, एसडीपीओ और थानेदारों पर नकेल कसी जाएगी. पुलिस मुख्यालय की नजर वैसे पुलिस अनुमंडल पर है, जहां पर्यवेक्षक के लिए ज्यादा मामले लंबित पड़े हैं. वैसे थाना जहां किसी ना किसी अपराध में सिर्फ वृद्धि है, उसके थानाध्यक्ष भी इसकी जद में आएंगे