
पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद से चार मई से जातीय गणना रूकी हुई थी। दो अगस्त को हाईकोर्ट ने इसे जारी रखने का आदेश दे दिया। लगभग 89 दिन तक रूकी हुई यह प्रक्रिया फिर से शुरू हो गई है। सभी जिलों के डीएम एवं संबधित अधिकारियों को निर्देश जारी किया जा चुका है। इस बारे में डीएम ने भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रगणकों को आवश्यक निर्देश दिए हैं। अनुमंडलाधिकारी को नियमित तौर पर पर्यवेक्षण के लिए निर्देश जारी किया जा चुका है। मुख्य सचिव अमिर सुबहानी ने सभी जिलाधिकारियों को तय सीमा में काम पूरा करने का निर्देश दिया है।
गणना कार्य में लगाए जाएंगे शिक्षक।
गणना कार्यों में शिक्षकों की भूमिका अतिमहत्वपूर्ण होती है। इसलिए शिक्षकों को भी गणना कार्य में लागाए जाने का निर्देश जारी किया गया है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्यसचिव केके पाठक ने पत्र द्वारा सभी डीएम को इसकी मंजूरी दी। उन्होंने कहा है कि शिक्षकों को सिर्फ गणना कार्य में लगाया जाएगा। किसी भी शिक्षक को इस दौरान प्रशासनिक कार्य में नहीं लगाया जाए। केके पाठक ने कहा कि कोई विद्यालय इस दौरान शिक्षक विहीन नहीं होना चाहिए।
जातीय गणना(Caste Census) की क्या है वर्तमान स्थिति?
1. गणना का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।
2. शेष 20 प्रतिशत काम को अगस्त में पूरा करना लक्षित है।
3. गणना के लिए आंकड़ों का संकलन 26 बिंदुओं पर निर्धारित है।
4. प्रथम चरण में 2 करोड़ 58 लाख 90 हजार 497 परिवारों तक बनी पहुंच।
5. राज्य के 5 लाख 19 हजार कर्मचारी गणना कार्य में लगाए गए।
6. शिक्षकों को गणना का काम फिर से सौंपा गया है।
सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार ने क्यों दाखिल किया कैविएट?
जातीय गणना में फिर से कोई रूकावट नहीं आए इसके लिए कैविएट दाखिल किया गया है। बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 2 अगस्त को कैविएट दाखिल किया। मतलब अब अगर इसके खिलाफ अपील होती है तो पहले सरकार का पक्ष सुना जाएगा। सरकार का पक्ष सुनने के बाद ही कोर्ट कोई भी प्रस्ताव पारित करेगा। मतलब बिहार सरकार जातीय गणना को बिना बाधा जल्द पूरा करना चाहती है।
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