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सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले IAS/IPS के बच्चों की गिनती कर रही है बिहार सरकार, जानें वजह

बिहार के सरकारी स्कूलों में सिर्फ गरीब के बच्चे पढ़ाई करते हैं, ये बातें हमेशा उठती रही है लेकिन अब शिक्षा विभाग ने इसका ब्यौरा जुटाना शुरू कर दिया है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने सभी डीएम और एसपी से पत्र लिखकर ब्यौरा मांगा है कि राज्य के प्राथमिक और अन्य सरकारी स्कूलों में कितने आईएएस, आईपीएस (IAS IPS Children) और क्लास 1 और क्लास2 ऑफिसर के बच्चे पढ़ाई करते हैं. इसकी विस्तृत रिपोर्ट सभी डीएम (DM) और एसपी (SP) तैयार करें. अपर मुख्य सचिव ने सभी जिलों को 4 अगस्त को मुख्य सचिव की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भाग लेने का निर्देश दिया है और कहा है कि पूरी विस्तृत रिपोर्ट की जानकारी मुख्य सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में दी जाए.

दरअसल पटना हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता कौशल किशोर ठाकुर की याचिका पर हाल ही में सुनवाई हुई है जिसमें हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल उपाध्याय ने सरकार से जवाब मांगा है कि राज्य के सरकारी स्कूलों में कितने अधिकारी अपने बच्चों का नामांकन करवाये हैं, ये जानकारी हाईकोर्ट को दी जाए. इसके बाद सरकार हरकत में आई है और सरकारी महकमे में हड़कम्प मचा है. एक तरफ जहां सरकार स्कूलों में गुणवत्ता शिक्षा को बढ़ाने और संसाधनों में इजाफा करने में जुटी है और नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों का रोड मैप तैयार करने के लिए रणनीति बना रही है, ऐसे में अब ये भी देखना होगा कि क्या अबतक जो मांगें उठती रही है उसमें कितनी सच्चाई है.

इससे पहले भी बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदार पांडेय, महासचिव शत्रुध्न प्रसाद सिंह, टीईटी,एसटीईटी उतीर्ण नियोजित शिक्षक संघ के प्रवक्ता अश्विनी पांडेय और बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष आनंद कौशल सिंह ने इस मुद्दे पर सरकार को पत्र लिखा था और कहा था कि सरकारी अधिकारियों के लिए आदेश जारी किया जाए कि उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में ही नामांकन कराएं ताकि सरकारी स्कूलों की दशा बदलेगी और गुणवत्ता शिक्षा पर सरकार ध्यान देगी. अब 4 अगस्त के बाद पता चल सकेगा कि राज्य के कितने सरकारी स्कूलों में कितने आइएएस, आईपीएस के बच्चे पढ़ाई करते हैं और हाईकोर्ट सरकार के जवाब से किस हद तक संतुष्ट हो पाती है.

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