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वृद्ध में मिली बच्चों में पाई जाने वाली सिस्ट, IGIMS के डॉक्टरों ने बताया चौंकाने वाला मामला

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (IGIMS) में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक 66 साल के वृद्ध के आहार नली में वह सिस्ट पाई गई है जो बच्चों में पाई जाती है। सीने में दर्द और खाना निगलने की शिकायत पर मरीज को भर्ती किया गया था। गैस्ट्रोसर्जरी विभाग ने दूरबीन से सिस्ट को निकालकर जांच के लिए भेजा है। इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि बड़े लोगों में यह सिस्ट बनता ही नहीं, यह आश्चर्यजनक मामला है। IGIMS के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर मनीष मंडल का कहना है कि 66 साल के सुधीर यादव दरभंगा के रहने वाले हैं। वह सीने में दर्द और खाना निगलने में होने वाले दर्द से परेशान थे। कई अस्पताल में इलाज कराया लेकिन कहीं बीमारी डिटेक्ट नहीं हो पाई। बीमारी जो थी सिर्फ बच्चों में होती है, बड़े में ऐसा केस नहीं होता है। इस कारण से भी डॉक्टर उसे डिटेक्ट नहीं कर पाए।

डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि सुधीर को एक महीने से छाती में दर्द और खाना निगलने में तकलीफ थी। ये दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। 20 जुलाई को वह IGIMS के गैस्ट्रोसर्जरी विभाग में डॉ. राकेश कुमार सिंह की देखरेख में भर्ती हुए। जांच और सिटी स्कैन में पता चला कि सुधीर के खाने की नली के बगल में एक गांठ (इसोफेजियल डुप्लीकेशन सिस्ट) बन गई है। सिस्ट डिटेक्ट होने के बाद डॉक्टरों ने कहा इस सिस्ट की खासियत है कि ये नवजात बच्चों में पाया जाता है और इस उम्र में इसका पाया जाना एक अनोखा मामला है । डॉ. राकेश कुमार सिंह ने कहा कि छाती खोल कर ओपन सर्जरी से ऐसी बीमारियों का इलाज किया जाता रहा है। पहली बार दूरबीन से सिस्ट निकाला गया। जांच और निश्चेतना विभाग की सलाह के बाद दूरबीन विधि से सिस्ट निकालने का निर्णय लिया गया। डॉक्टर का कहना है कि ऑपरेशन लगभग ढाई घंटे चला। इसमें सिस्ट को खाने की नली (Oesophagus) से दूरबीन द्वारा निकाला गया। मेडिकल सुपरिटेंडेट ने बताया कि इस तरह का दुर्लभ ऑपरेशन इस विधि से बिहार के किसी सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में होता ही नही है। दिल्ली और मुंबई जैसे शहर में इसका खर्च 2 से 3 लाख रुपए आता है। संस्थान में महज 40 हजार रुपए में इसका ऑपरेशन किया गया।

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