Biharbreaking newspoliticsबड़ी खबर ।

जेल में आंदोलनकारी बने आनंद मोहन, CM को लिखी चिट्ठी, कहा-इलाज के अभाव में दो बंदी हो गए अंधे

सहरसा की जेल में बंद पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन जेल में अनशन पर बैठ गए हैं। उम्र कैद की सजा काट रहे आनंद मोहन जेल में फैली असुविधाओं को लेकर अनशन पर बैठे हैं। आनंद मोहन की उम्रकैद की सजा पूरी हो चुकी है। जेल से निकलने से पहले दूसरे कैदियों की सुविधा के लिए आनंद मोहन ने अनशन शुरु किया है। आनंद मोहन ने इसको लेकर जेल आईजी को चिट्ठी भी लिखी है। चिट्ठी की प्रतिलिपी को उन्होंने बिहार के CM नीतीश कुमार को भी भेजा है। 12 सूत्री मांगो को लेकर अनशन पर बैठ आनंद मोहन ने साफ कर दिया है कि जब तक सुविधाएं बहाल नहीं हो जाती। वो अनशन पर बैठेंगे। आनंद मोहन ने अपनी चिट्ठी में कोरोना काल में कैदियों को नहीं मिल रही चिकित्सीय सुविधा और टीकाकरण को भी मुद्दा बनाया है। उन्होंने कहा है कि आंखों के इलाज के अभाव में बंदी बौकू सादा और विनोद यादव अंधे होने की कगार पर हैं।

पूर्व सांसद ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि मंडल कारा के हम कैदी यहां वर्षों से व्याप्त समस्याओं की ओर समाधान की अपेक्षा के साथ सादर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहेंगे । कोरोना संकट के कारण पिछले (मार्च 2020) डेढ़ साल से हम बंदियों की मुलाकात और आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही पर पूर्णतः रोक है। ‘ई’ मुलाकात और दूरभाष पर भी नियमित बातचीत की व्यवस्था नहीं है । जबकि कोरॉना संकट के नाम पर खाने-पीने और जरूरी सामानों के अंदर आने पर रोक है, तो ऐसे में हम बंदियों को कारा हस्तक के अनुसार निर्धारित ‘डाइट’ में किसी प्रकार की अनियमितता कहीं से भी उचित नहीं है । भीषण गर्मी और क्षमता से अधिक बंदियों के बावजूद वार्डों में पर्याप्त पंखे नहीं हैं, जो हैं वे खराब पड़े हैं । बंदीगण अपने निजी खर्च पर पंखों की रिपेयरिंग को मजबूर हैं। कई साल से नए पंखों की खरीद नहीं हुई है । यहां तक कि अन्य वर्षो की तरह हाथ पंखे और मिट्टी के घड़ों की आपूर्ति भी नहीं की गई । पूरे जेल में दशकों पुराने बिजली वायरिंग की स्थिति जर्जर है । ‘शार्ट सर्किट’ के कारण कभी किन्हीं बड़े हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता।

उम्रकैद की सजा पूरी कर चुके आनंद मोहन ने लिखा है कि क्षमता से बहुत कम शौचालय हैं। जो हैं, उसकी स्थिति भी अत्यंत खराब हैं। सभी टंकी फटे और भरे पड़े हैं। टंकियों से जेल की स्थिति अत्यंत दुर्गंधपूर्ण और नारकीय है। बीमारियों की भी संभावनाएं हैं। पिछले कई वर्षों में आश्वासनों के बावजूद इस जेल में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं की गई । जबकि प्रदेश के अन्य जेलों में इसके लिए ‘एकवा गार्ड’ लगाए जा चुके हैं। भीषण गर्मी में सामान्य चापाकल भी खराब पड़े हैं । जेल में कोई स्थाई चापाकल मिस्त्री नहीं है । जबकि पूर्व से ऐसी व्यवस्था थी । पाकशाला की स्थिति भी जर्जर है। जेल के कैदियों का जिक्र करते हुए आनंद मोहन ने लिखा है कि समुचित दवा और चिकित्सा का घोर अभाव है ।महिला बंदी प्रभा देवी की गठिया के प्रकोप से हालत बदतर है। ये सभी दूसरों के सहारे दैनिक नित्य क्रिया संपन्न करते हैं। लेकिन, इस ओर प्रशासन का समुचित ध्यान नहीं है। खून- पेशाब की जांच और एक्स-रे का कारा के अंदर कोई व्यवस्था नहीं है। वर्षों से वार्डों में खिड़कियों के पल्ले नहीं हैं। परिणाम स्वरूप आंधी ,बारिश ,गर्मी में लू , जाड़े में ओस-पाले से बंदियों को भीषण कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

Related Articles

Back to top button