‘जब अधिकारी-पदाधिकारी, जन प्रतिनिधि जनता की समस्या का समाधान नहीं करते हैं तो मुख्यमंत्री को उनकी समस्या सुननी ही पड़ती है’- यह कहना है बिहार सरकार के खान एवं भूतत्व मंत्री जनक राम का। मीडिया से बातचीत में मंत्री जनक राम ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से जनता की समस्याओं का समाधान होता है। साथ ही उन्होंने बिहार में अफसरशाही पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जब अधिकारी समस्या नहीं सुनेंगे तो मुख्यमंत्री को जनता दरबार लगाना ही पड़ेगा। मंत्री जनक राम ने कहा कि -‘सीएम पर पूरा भरोसा है। वे लालफीताशाही को पूरी तरह से तोड़ देंगे। जनप्रतिनिधियों और अफसरों से जनता की समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है। तभी तो सीएम को जनता दरबार के लिए जरिए निराकरण करना पड़ रहा है। सुशासन को लेकर किए गए सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रदेश में सुशासन बेपटरी नहीं हुई है। जनता से सीधे जुड़ने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने जनता दरबार लगाने का फैसला किया है’।
मंत्री जनक राम ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार का इकबाल अभी खत्म नहीं हुआ है। उनकी धौंस और पकड़ अभी भी पहले की तरह ही है। सीएम नीतीश कुमार ने 5 साल बाद फिर से जनता दरबार शुरू किया है। इसको लेकर जनक राम ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संवेदनशील व्यक्ति हैं। उन्हें पता है कि कब किस कार्यक्रम को करना है। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम प्रत्येक महीने के पहले तीन सोमवार को आयोजित होगा। एक दिन में मुख्यमंत्री 300 से 400 लोगों से मिलेंगे और उनकी समस्याएं सुनेंगे। हर सोमवार को अलग-अलग विभाग की समस्याएं ली जाएगी। जनता दरबार मे शामिल होने के लिए कोई भी मोबाइल एप JKDMM के माध्यम से भी किसी समस्या या शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।