बिहार की राजनीति में इन दिनों सब कुछ उलझा-उलझा सा है । रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस केन्द्र में मंत्री बन गए हैं। लेकिन, किस पार्टी के कोटे से केन्द्र में मंत्री बनाएं गए हैं। इस सवाल का जबाब अब भी पक्के के तौर पर कोई नहीं दे पा रहा है । पटना की सड़कों पर लगा एक पोस्टर इस पूरी कहानी में नया मोड़ ला रहा है। इस पोस्टर में पशुपति पारस को केन्द्र में मंत्री बनाये जाने पर नीतीश कुमार को जदयू के नेता बधाई दे रहे हैं । इससे तस्वीर साफ हो गई है कि पारस को मोदी टीम में भेजने वाले नीतीश कुमार ही हैं।
पटना की सभी प्रमुख सड़कों पर केशव सिंह ने एक पोस्टर लगवाया है । इस पोस्टर में पशुपति पारस को केन्द्र में मंत्री बनाएं जाने पर केशव सिंह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई दे रहे हैं । केशव सिंह का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बधाई देना तो समझ में आता है। क्योंकि पारस को मंत्री बनाये जाने का अंतिम फैसला प्रधानमंत्री का ही है । लेकिन नीतीश कुमार को बधाई क्यों , पारस के मंत्री बनने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की क्या भूमिका हो सकती है । केशव सिंह ने हालांकि इस पोस्टर में अपने आप को लोजपा का नेता बताया है। लेकिन सच ये है कि केशव सिंह महीनों पहले अपने दल-बल के साथ आरसीपी सिंह की मौजूदगी में जदयू में शामिल हो चुके हैं । ऐसे में जदयू के एक नेता का पारस को मंत्री बनाए जाने के लिए नीतीश कुमार को बधाई देना उस राजनीतिक कहानी की पुष्टि करती है। जिसमें ये कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के चाहत से ही पशुपति पारस केन्द्र में मंत्री बनाएं गएं हैं । पशुपति पारस के केन्द्रीय मंत्री बनने में जदयू की महत्वपूर्ण भूमिका इसलिए भी मानी जा रही है। क्योंकि, इस बार जदयू बदला-बदला दिख रहा है । साल 2019 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल में 1 मंत्रिपद की सांकेतिक हिस्सेदारी लेने से इंकार कर चुकी नीतीश कुमार की पार्टी अब कैसे मान गई । 2 साल पहले खुद नीतीश कुमार ने सांकेतिक हिस्सेदारी लेने से इंकार कर दिया था। अब वहीं, नीतीश कुमार सांकेतिक हिस्सेदारी पर शांत हैं वो भी तब, जब उनके करीबी ललन सिंह के हाथ खाली रह गए । जाहिर है ऐसा कुछ तो था जिसने भाजपा के सामने नीतीश कुमार को चुप करा दिया । तो क्या वो पशुपति पारस ही थे । केशव सिंह का पोस्टर भी यही कह रहा है ।