एक डीएम किसी भी जिले का सबसे बड़ा अधिकारी होता है। जो बहुत कम अवसर होते हैं, जब वह अपनी कुर्सी पर खड़े होते है। फिर चाहे सामने कोई भी बड़ा अधिकारी या मंत्री क्यों न हो। लेकिन बिहार के रोहतास जिले के डीएम सिर्फ एक बच्ची के लिए अपनी कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए और खुद बच्ची के पास मिलने के लिए गए। दरअसल, जिले के सुदूर क्षेत्र रेहल में प्रशासन की तरफ से लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए शिविर लगाई गई थी। इस शिविर में खुद जिले के डीएम धर्मेंद्र कुमार भी मौजूद थे। वहीं बड़ी संख्या शिविर में पहुंचे लोग डीएम के सामने अपनी समस्या रख रहे थे। इन सबके बीच एक बच्ची भी शिविर में पहुंची थी। वह बच्ची दिव्यांग थी और नागाटोली गांव से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी तय कर शिविर में पहुंची थी, लेकिन भीड़ के कारण उसे डीएम तक पहुंच पाने में दिक्कत हो रही थी।
दिव्यांग बच्ची की स्थिति को देखकर डीएम धमेंद्र कुमार इतने इमोशनल हो गए कि वह अपनी कुर्सी से खड़े हो गए। डीएम के अचानक इस तरह से कुर्सी से उठता देख वहां मौजूद अधिकारी भी हड़बड़ा गए। जिसके बाद जिलाधिकारी खुद बच्ची तक पहुंचे और वहीं जमीन पर बैठकर दिव्यांग कुसुम की समस्याओं को सुना। दिव्यांग कुसुम ने डीएम से कहा कि दक्षिण बिहार ग्राामीण बैंक में खाता होने के कारण पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। इसलिए पीएनबी में खाता खुलवा दें। उसने दिव्यांगता प्रमाण पत्र नहीं बनने की बात कही। डीएम ने उससे आवेदन ही नहीं लिया बल्कि पूरी बात सुनने के बाद निराकरण का आश्वासन दिया और कहा कि इसके लिए गांव में जल्द दिव्यांगता कैंप लगा प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया जाएगा। सिविल सर्जन को तत्काल मेडिकल बोर्ड गठित कर शिविर लगाने के लिए कहा। साथ ही एसडीएम को तत्काल पीएनबी में खाता खुलवाकर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।