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उद्योग मंत्री शहनवाज हुसैन ने मुंगेर की 37 आर्म्स कंपनियों के संचालकों से मुलाकात की, यहां बनी बंदूकें भी देखीं

मुंगेर की पहचान आईटीसी (इंडिया टोबैको कंपनी) और गन फैक्टरी की पुरानी चमक वापस लौटने की उम्मीद जगी है। रविवार को प्रदेश के उद्योग मंत्री सैयद शहनवाज हुसैन पहली बार जिले के दौरे पर पहुंचे हैं। उन्होंने यहां कारोबारियों से मुलाकात की। मुंगेर आईटीसी, बंदूक कारखाना, जमालपुर रेल कारखाने के अलावा बरियारपुर के खादी ग्रामोद्योग, धरहरा के कंबल उद्योग समेत काफी संख्या में लघु उद्योगों के लिए प्रसिद्ध था। हालांकि, इनमें से अब कई बंद हैं। यहां बियाडा की बहुत जमीन खाली है। बताया जा रहा है कि यहां फिर से उद्योग लगाए जाएंगे और जिले को उद्योग हब बनाया जाएगा। बंद पड़े लघु उद्योगों को पुनर्जीवित करने और टेक्सटाइल्स व फूड प्रोसेसिंग का नया उद्योग स्थापित करने की पॉलिसी भी तैयार की जा रही है।

मुंगेर दौरे के दौरान मंत्री शहनवाज हुसैन गन फैक्टरी का जायजा लेने भी पहुंचे। उन्होंने निर्माताओं से यहां बनने वाली बंदूक की जानकारी ली। फैक्टरी में कार्यरत बीएसए कॉरपोरेशन के अजीत शर्मा, रायल आर्म्स कंपनी के जितेंद्र शर्मा, बैद्यनाथ आर्म्स कंपनी के संजय कुमार समेत 37 कंपनियों के संचालकों से बातचीत कर इसे फिर से शुरू करने पर चर्चा की। संचालकों ने गन फैक्टरी में तैयार ‘पंप एक्शन गन 5 शॉट’ मंत्री को दिखाते हुए बताया कि सरकार लाइसेंस जारी करे तो इस गन की बहुत ज्यादा डिमांड बाजार में होगी। उन्होंने कहा कि वे लोग यहां बंदूक बना रहे हैं पर रजिस्टर्ड डीलर उनसे तैयार बंदूक नहीं खरीद रहे। इसका एक मात्र कारण प्रशासन द्वारा बंदूक के लिए लाइसेंस नहीं जारी करना है। 2004 के बाद से गन फैक्टरी से विदेशों में निर्यात भी बंद है। डिफेंस मंत्रालय से भी ऑर्डर मिले तो वे लोग हथियार बना सकते हैं। इसके बाद मंत्री ने संचालकों के प्रतिनिधिमंडल को पटना आकर समस्या से अवगत कराने का निर्देश देते हुए कहा कि बंदूक कारखाने की पहचान को वापस दिलाने के लिए वह हरसंभव प्रयास करेंगे।

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