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बांका जिले का प्राकृतिक स्वरूप अदभुत: पशु पक्षियों के नाम से कई गाँव का नाम..

BANKA : बांका जिला बिहार राज्य के दक्षिण-पूर्व भाग में अवस्थित हैं इसकी पूर्वी और दक्षिण सीमाएं झारखण्ड राज्य के क्रमशः गोड्डा और देवघर जिले से मिलती हैं जबकि पश्चिम एवं उत्तर-पूर्व में यह क्रमशः जमुई और मुंगर जिले को छूती हैं . पुराना जिला भागलपुर इसके उत्तर दिशा व स्थित है. जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 305621 हेक्टेअर अर्थात 3019.3465 वर्ग किमी हैं | जिला मुख्यालय बांका शहर में ही अवस्थित है . यह जिला 21 फरवरी 1991 को निर्मित हुआ. पूर्व में यह भागलपुर जिले का एक अनुमंडल हुआ करता था. जिला में कुल 11 प्रखंड और 02 शहर है – बांका और अमरपुर . प्रत्येक प्रखंड में कई पंचायत हैं. वनों, पहाड़ों और नदियों की खूबसूरती को अपने दामन में समेटे बांका जिले का प्राकृतिक स्वरूप अदभुत है। यहां के लोगों का प्रकृति से बेहद नजदीक से जुड़ाव है।

झारखंड व बिहार की सीमा पर स्थित इस जिले के लोगों को प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों से विशेष प्यार है। जिले के कई ऐसे गांव हैं जिनके नाम पशु-पक्षियों के नाम पर हैं। ये नाम यहां के पूर्वजों के प्रकृति प्रेम को दर्शाता है। सांप डहर, सुग्गासार, बाघा, कानी बैल,बघवा, मुर्गीडीह, घोड़मारा, चिलकारा, कौआ तांड, भेड़ा मोड़, चिरैया, हथिया डाडा, घोड बहियार, सिंहनान, लकड़ मारा, बाघमारा- ये किसी पशु-पक्षी नहीं बल्कि गांव के नाम हैं। ऐसे गांव पशु-पक्षियों के नाम पर पूर्वजों के द्वारा रखे हुए हैं। पशु व पक्षियों के नाम से जुड़े गांवों की पहचान यहां के लोगों को सीधे तौर पर प्रकृति से जोड़ती है। यहां पशु-पक्षी के नाम जुड़े गांवों की कहानी अलग व अनोखी है। वैसे गांव के ज्यादातर लोग इससे अनभिज्ञ हैं। गांव के नामकरण की कहानी के सच का कोई प्रमाण भी नहीं है। हालांकि क्षेत्र में पहुंचने वाले लोग गांव के नामकरण की सच्चाई से जुड़े तथ्यों को जानने के प्रति उत्सुक हो उठते हैं। वहीं गांवों के रहने वाले प्रदीप भगत, सुगदेव यादव, हेमंत सोरेन, जय प्रकाश लाल आदि ने बताया की पूर्वजों ने पशु पक्षियों से जुड़े प्रेम को अमर रखने के लिए ही उसके नाम से गांव का नामकरण किया होगा।

प्राकृतिक मनोरम वादियों के बीच बांका में बिहार का सबसे अधिक दस जलाशय परियोजना है। इनकी अथाह जलराशि खेतों की सिंचाई व मछली पालन का प्रमुख जरिया है। यहां प्रवासी पक्षियों का कलरव लोगों को खूब भाता है, जो सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है। ज्ञातव्य हो कि इन जलाशयों के नाम भी पेड़-पौधे से जुड़े हैं। इनमें चंदन डैम, बदुआ डैम, आम्हारा डैम, सरकटट्टा जलाशय, बेलहरणा, कोझी, मध्यगीरी व फुल्ली-डुमर जलाशय परियोजना आदि शामिल है।

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