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जदयू मंत्री अशोक चौधरी और राजो सिंह हत्याकांड का क्या है कनेक्शन?

राजो सिंह हत्याकांड की पूरी कहानी

बिहार की राजनीति में दो कद्दावर नेता हुए, महावीर चौधरी और राजो सिंह। दोनों शेखपुरा-बरबिघा क्षेत्र के विधायक थे। दोनों में बड़ी गहरी दोस्ती थी। जदयू के बरबीघा विधायक सुदर्शन कुमार उन्हीं राजो सिंह के पोते हैं। वहीं सुदर्शन कुमार जिस अशोक चौधरी पर आरोप लगा रहे हैं वो महावीर चौधरी के पुत्र हैं। जदयू से मंत्री अशोक चौधरी पर राजो सिंह हत्याकांड साजिश करने का आरोप लगा था। जिसमें शेखपुरा कोर्ट ने 2022 को सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। इस मामले को सुदर्शन कुमार ने एक बार फिर उठाया है।   

राजो सिंह हत्याकांड में कौन-कौन थे आरोपी?

शेखपुरा कांग्रेस पार्टी के जिला कार्यालय के आश्रम में राजो सिंह की हत्या हुई। 9 सितंबर 2005 को स्थानीय लोगों से मिलने के दौरान शाम सात बजे कुछ बदमाशों ने राजो सिंह की गोलीमारकर हत्या कर दी। राजो सिंह की हत्या के तुरंत बाद सदर थाना शेखपुरा में प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी। बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी, तत्कालीन जदयू विधायक रणधीर कुमार सोनी समते अन्य पर प्रथमिकी दर्ज हुई। हालांकि पुलिस ने मंत्री अशोक चौधरी, रणधीर कुमार सोनी एवं अन्य पर आरोप पत्र समर्पित नहीं किया था। इस मामले के एक अन्य अभियुक्त कमलेश महतो की मृत्यु भी हो चुकी है।

हत्याकांड के पीछे की पूरी कहानी!

दरअसल, 26 दिसंबर 2001 को शेखपुरा जिल परिषद की बैठक चल रही थी। इस बैठक में अशोक चौधरी (कांग्रेस विधायक) और संजय सिंह, (आरजेडी सरकार में मंत्री) शामिल थे। बताया जाता है कि बैठक में ही किसी मुद्दे पर दोनों के बीच तनातनी हो गई। हालांकि बीच बचाव कर उस वक्त माहौल शांत करा दिया गया।

उसी दिन शाम अशोक चौधरी के काफिले पर हथियारबंद बदमाशों ने फायरिंग कर दी। इस घटना में कुल 8 लोगों की जान चली गई । अशोक चौधरी की गाड़ी आगे निकल जाने के कारण वे बच गए। इस मामले में बेगूसराय के तत्कालीन कांग्रेस सांसद राजो सिंह पर एफआईआर दर्ज हुआ। एफआईआर में उनके मंत्री पुत्र संजय सिंह समेत कुल 10 नामजद थे। मुकदमे को विशेष अदालत को सौंप दिया। मुकदमें का परिणाण आने से पहले 9 सितंबर, 2005 राजो सिंह की हत्या कर दी गई।

कौन थे राजो सिंह जिनकी बिहार सरकार में तूती बोलती थी!

दो सियासी परिवारों में एक के मुखिया थे महावीर चौधरी तो दूसरे के राजो सिंह। महावीर चौधरी बरबिघा से 1980 से 2000 तक लगातार 4 बार विधायक रहे। कई बार राज्य सरकार में मंत्री भी रहे। वहीं दूसरे परिवार के मुखिया थे राजो सिंह। राजो सिंह बरबिघा और शेखपुरा में 1972 में 2000 तक विधायक रहे ( एक बार छोड़कर )। एक बार राज्यमंत्री भी बने। बताया जाता है कि सीएम कोई भी हो सत्ता में दबदबा राजो सिंह का ही रहता था। उनके नाम पर काम हो जाता था। आरजेडी के शासन काल में उनके ही प्रयास से शेखपुरा जिला बना था। महावीर चौधरी और राजो सिंह लंबे अर्से तक विधायक रहे। पड़ोसी होने के नाते दोनों में गहरी दोस्ती थी। कहा तो ये जाता था कि राजों सिंह जो कहते थे वही महावीर चौधरी करते थे।

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