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क्या नीतीश कुमार की मेहनत का फल कांग्रेस हथियाना चाहती है? Congress trying to sideline Nitish kumar.

इंडिया गठबंधन में हाशिए पर नीतीश

आज जो विपक्षी एकता दिख रही है उसका सारा श्रेय नीतीश कुमार को जाता है। इंडिया गठबंधन के नाम से विपक्ष की फसल का बीज नीतीश कुमार ने हीं बोया। सारी मेहनत और खून पसीना सब नीतीश कुमार ने बहाया। लेकिन आज विपक्ष की फसल को कांग्रेस हथियाने में लगी है। कांग्रेस की छीनाझपटी में नीतीश कुमार के सहयोगी लालू  यादव भी कांग्रेस के साथ खड़े दिख रहे हैं। नीतीश कुमार को लेकर कभी हां…कभी ना की स्थिति इंडिया खेमे में बनती दिख रही है। श्री कृष्ण सिंह की जयंती पर कांग्रेस ने नीतीश कुमार की जगह लालू यादव मुख्य अतिथि बनाया ।

इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार को किनारे कर रही कांग्रेस!

I.N.D.I.A. गठबंधन बनने से पूर्व कांग्रेस पार्टी नीतीश कुमार को खूब तरजीह दे रही थी। इसके बाद कर्नाटक के चुनाव हुए। कर्नाटक के चुनाव में कांग्रेस को बड़ी बढ़त मिली और कांग्रेस ने अपना रंग दिखाना शुरू किया। गठबंधन के अंदर कांग्रेस पहले ज्यादा मुखर होने लगी। समय- समय पर वार-पलटवार भी होते रहे। नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने को लगातार चर्चा होती रही। लेकिन अंतिम तौर पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में होने वाले चुनाव को लेकर सर्वे रिपोर्ट आए। ज्यादातर रिपोर्ट में कांग्रेस को सभी राज्यों में बढ़त दिख रही थी। इसके बाद कांग्रेस के तेवर बदल गए। जो इंडिया गठबंधन भोपाल में साझा रैली करने वाली थी, अभी सीट बंटवारे को लकेर आमने सामने है। कांग्रेस सीट नहीं मिलने पर जदयू ने मध्यप्रदेश में पांच सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं।

Nitish kumar के साथ कांग्रेस की खींचतान शुरू हो गई है। इस खींचतान में लालू यादव की भूमिका बड़ी है। लालू यादव ने राहूल गांधी को दूल्हा बताकर इसके संकेत पहले हीं दे चुके थे। वहीं श्रीकृष्ण सिंह की जयंती पर नीतीश कुमार न बुलाकर कांग्रेस भी अपनी मंशा बता रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार क्या रूख अपनाते हैं।   

नीतीश कुमार की शाख पर विपक्ष हुआ था एकजूट!

तीसरे मोर्चे की बड़ी विफलता के बाद विपक्षी एकजुटता के सबने सोचना बंद कर दिया था। लेकिन नीतीश जैसे ही एनडीए से अलग हुए उन्होंने इसकी कोशिश शुरू की।  Nitish Kumar वर्तमान में प्रयोगवादी समाजवाद के एक मात्र उदाहरण हैं। तात्पर्य यह कि नीतीश कुमार ने अपने सभी निकट संबंधी को राजनीति से दूर रखा है। नीतीश कुमार की राजनीतिक छवि बेहद साफ सूथरी रही है। अबतक किसी भी प्रकार के घोटाले या भ्रष्टाचार में नीतीश कुमार की संलिप्तता नहीं रही है। यही कारण है कि जब नीतीश कुमार ने नए विपक्ष का निर्माण करना चाहा तो सब एकसाथ आने लगे। नीतीश कुमार की राजनीति शाख इतनी मजबूत रही है विपक्ष को कोई नेता उन्हें मना नहीं कर पाया।

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