
Desk : बीजेपी की निगाहों में अब लक्ष्य सीधा है, जो है लोकसभा चुनाव 2024 में नरेंद्र मोदी के सिर पर फिर से प्रधानमंत्री का ताज। इस प्रतिबद्धता की जो बैचनी है उसकी गिरह बिहार में खुलती है। यही वजह है कि पार्टी को मजबूत कर जाने वाले हर नामवर नेताओं पर भाजपा के रणनीतिकारों की नजर है। यूं ही नहीं बीजेपी के शीर्ष नेताओं की जुबां से उपेंद्र कुशवाहा का नाम उतर नहीं पा रहा है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के सी आर चंद्रशेखर की रैली के बाद एक थर्ड फ्रंट का बनते दिखना भी भाजपाइयों के लिए परेशानी का सबब बन गया। और इस रैली से वंचित रहे बिहार के विपक्ष को देखते हुए उनकी उम्मीद बढ़ने लगी है। यह उम्मीद खासकर उन राजनीतिक दलों के नेताओं की तरफ जाती दिखती है जो कभी एनडीए की छतरी तले थे। इस उम्मीद का एक सिरा उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा से भी बंध रहा है।
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राजनीति और गठबंधन की मजबूरी हर नेता को पुराने समीकरण याद दिला ही देती है। पूर्व उप मुख्य मंत्री तारकिशोर प्रसाद के इस बयान से इस बात को समझा जा सकता है जब उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी में आना चाहें तो उनकी एंट्री केंद्रीय नेताओं की सहमति से हो सकती है। यहां तक कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने भी इशारों में कहा कि जो भी लोग 1990 से 2005 तक बिहार को जंगल राज से मुक्त कराने में लगे रहे, वो कभी भी बीजेपी में आ सकते हैं, उनके लिए रास्ता खुला है। मतलब साफ है कि 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति का एक सिरा उपेंद्र कुशवाहा की तरफ भी जा रहा है।