
DESK : बिहार की राजनीति में कुशवाहा वोटरों को साधने की कवायद तेज हो गई. बिहार की तमाम पार्टियां चाहती है की इस वोट बैंक पर उनका राज हो. वहीं इस वोट बैंक पर पहले से राज करने वाले उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू से अलग होकर अपनी पार्टी बना चुके हैं और शक्ति प्रदर्शन भी कर चुके हैं.
बीते दिनों बापू सभागार में सम्राट अशोक की जयंती के माध्यम से उपेंद्र ने अपनी पार्टी के बैनर तले एक कार्यक्रम किया. जहां पर सारे इस समाज के लोगों की जुटान हुई थी. वहां पर एक नारा दिया गया कि जो जेडीयू को रोकेगा हम उसके साथ चुनाव लड़ेंगे. हालांकि अभी भी कुछ लोगों का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा पर कुशवाहा समाज के लोगों को भरोसा नहीं है, क्योंकि उन्होंने हमेशा इस समाज को ठगने का काम किया हैं. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि इस समाज अपना पुश्तैनी घर जदयू को मानता है. उपेंद्र तो सिर्फ हमारे समाज को ठग कर आगे बढ़े हैं. बाकी बात होती है कुशवाहा समाज के वोट बैंक पर अपनी पकड़ रखने वाले सम्राट चौधरी की तो आपको बता दे कि सम्राट चौधरी को हाल में ही में बिहार भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया और इसकी बड़ी वजह यह भी रही है कि इस समाज पर इनकी अच्छी पकड़ हैं और इसीलिए इनको प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी गई.
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खबर यह भी चली कि सम्राट चौधरी को बिहार का भावी मुख्यमंत्री बनाया जाएगा क्योंकि बिहार में कुशवाहा समाज की संख्या लगभग 6 प्रतिशत है और इस पर राज करना हर राजनीतिक पार्टी चाहती है. नीतीश कुमार भी इस समाज पर अपनी पकड़ रखते हैं. लव-कुश समीकरण पर भी नीतीश कुमार की पकड़ हैं.
कहा यह जाता है कि उपेंद्र कुशवाहा के बाद अगर इस समाज पर सबसे अधिक कोई पकड़ बनाता है तो वह नीतीश कुमार है. इनके बाद कोई समाज पर सबसे अधिक पकड़ बनाता है तो उसका नाम सम्राट चौधरी हैं. ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि 2024 और 25 के चुनाव में इस समाज का उत्तराधिकारी कौन होगा नीतीश कुमार उपेंद्र कुशवाहा या फिर सम्राट चौधरी!