
पटना: निर्मलता, अविरलता, पतित पावनी मां गंगा की कलकल करती धारा। जल के इस पवित्र स्रोत की सौंदर्यता को निहारते इस धरती की न जाने कितनी पीढियां बीत गयीं। भीष्म की जननी गंगा अपनी गोद में जन्में को ही नहीं खींचती, बल्कि मीलों दूर लोगों को धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से अपनी ओर आकर्षित करती है। गौमुख से निकलकर करीब पचीस सौ किलोमीटर की यात्रा में जान्हवी ने अनगिनत सभ्यताओं और संस्कृतियों को अपने पावन जल से सींच कर समृद्ध किया है। ये वही नदी है जिसके साथ भारत के जय और पराजय के क्षण गुथे हुए हैं।
हजारों साल पहले इक्ष्वाकु वंश के राजा भगीरथ अपने हजारों पूर्वजों के मोक्ष के लिए मां गंगा को धरती पर लाने का प्रण किया था। अपने पुरखों के उद्धार के लिए भगीरथ ने कठोर तपस्या करने का बीड़ा उठाया, जिसके बाद इसकी की अविरल धारा को धरती पर उतरकर भगीरथ के पुरखों को तारना पड़ा। तब से ही सनातन धर्म में यह एक मोक्षदायिनी में रूप में जानी जाती हैं।
गंगा की उपयोगिता से वाकिफ हर भारतीय गंगा के आंचल में डूबकी लगाना चाहता है, इसके जल को अपने उपयोग में लाना चाहता है। लेकिन धैर्य की सीमाओं में बंधी गंगा हर स्थलों व स्थानों पर नहीं पहुंच सकी।यही वजह है कि सैकडों-हजारों किलोमीटर दूर चलकर लोग मां गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने आते हैं।
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पतित पावनी गंगा की धारा को जिस तरह भगीरथ ने अपने पुरखों के तर्पण के लिए धरती की तरफ मोड़ा था।उसी तरह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोककल्याणकार के लिए युगान्तकारी बीड़ा उठाया है। घर-घर शुद्ध जल पहुंचाना किसी सपने से कम नहीं था, लेकिन कहते हैं न कि अगर साफ नियत और प्रतिबद्धतता से कोई काम किया जाए तो आपकी योजना जल्द ही मूर्तरूप ले लेती है। नीतीश सरकार ने कम समय के अंदर ही लाखों लोगों के सपनों को साकार कर दिखाया। इसकी उद्धह योजना अपने आप में नजीर है…बदलते बिहार की सुंदर तस्वीर है।
मुख्यमंत्री की इस करीब तीन हजार करोड़ की गंगा उद्धह योजना के जरिए नवादा, राजगीर, गया और बोधगया में इसका निर्मल जल पहुंचाया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस काम के बाद गंगा का पानी पीने, तर्पण करने व फसलों की सिचाईं करने के काम आएगा। यानी नीतीश कुमार अपने इस बहुआयामी कदम से गंगा को सिर्फ मोक्षदायिनी ही नहीं बल्कि जीवनदायिनी व अर्थदायिनी के रूप में प्रतिस्थापित कर रहे हैं। जिसके पानी से लाखों लोगों की आकांक्षाओं सींचित होंगी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की परिकल्पना ने सिद्ध कर दिया कि गंगा केवल नदी नहीं है, वह युगों से प्रवाहित होती धर्म, दर्शन, संस्कृति, सभ्यता, अध्यात्म एवं मोक्षकांक्षी जीवन की प्राणधारा है।