politics

आनंद मोहन की रिहाई में आई अड़चन, देशभर के दलित नेताओं ने खोला मोर्चा…

Desk : बाहुबली नेता आनंद मोहन की जेल से रिहाई होने वाली थी. इसकी पहल बिहार सरकार की तरफ से की गई थी. इसको लेकर अब देशभर में बखेड़ा खड़ा हो गया है. सुप्रीम कोर्ट से आनंद मोहन को दोषी करार दिया गया था. अब इनकी रिहाई के खिलाफ देशभर के दलित नेताओं ने आवाज़ उठाना शुरू कर दिया है. ऐसे में नीतीश कुमार मुश्किल में पड़ चुके हैं. अब आनंद मोहन की रिहाई में अड़चन आ गई है.

विदित हो कि आनंद मोहन बिहार के एक दलित डीएम को बर्बरता से पीट-पीटकर मार डालने के मामले में दोषी हैं. 5 सितंबर 1994 में मुजफ्फरपुर के पास IAS अधिकारी की हत्या हो गई .

विदित हो कि आनंद मोहन बिहार के एक दलित डीएम को बर्बरता से पीट-पीटकर मार डालने के मामले में दोषी हैं. 5 सितंबर 1994 में मुजफ्फरपुर के पास IAS अधिकारी की हत्या हो गई .  जी. कृष्णैया गोपालगंज के डीएम थे. वह पटना से गोपालगंज जा रहे थे. रास्ते में बर्बरता के साथ उनकी हत्या कर दी . वह बहुत ही गरीब और दलित परिवार से आते थे. उनकी गिनती बिहार के ईमानदार अधिकारियों में होती थी. हत्या में मुख्य अभियुक्त आनंद मोहन थे. निचली अदालत की ओर से आनंद मोहन को फांसी की सजा भी सुनाई गई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने इसे उम्र कैद की सजा में बदल दिया. आनंद मोहन रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट भी गए. लेकिन वहां भी कोई राहत नहीं मिली.

यह भी पढ़े : यूपी के बुलडोजर बाबा के बड़े फैन है पशुपति पारस, महागठबंधन पर लगाया बड़ा आरोप!

गोपालगंज के डीएम थे. वह पटना से गोपालगंज जा रहे थे. रास्ते में बर्बरता के साथ उनकी हत्या कर दी गई. श्री… आंध्र प्रदेश के थे. वह बहुत ही गरीब और दलित परिवार से आते थे. उनकी गिनती बिहार के ईमानदार अधिकारियों में होती थी. हत्या में मुख्य अभियुक्त आनंद मोहन थे. निचली अदालत की ओर से आनंद मोहन को फांसी की सजा भी सुनाई गई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने इसे उम्र कैद की सजा में बदल दिया. आनंद मोहन रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट भी गए. लेकिन वहां भी कोई राहत नहीं मिली.

बिहार सरकार ने उनकी रिहाई के लिए अब नियम को ही बदल दिया है. सरकार के पास ही अधिकार होता है कि वह सजा पाने वाले कैदियों को उनके काम को देखते हुए समय से पहले उन्हें रिहा कर सकती है. इसमें पहले प्रावधान था कि सरकारी कर्मचारी या अधिकारी की हत्या के दोषी व्यक्ति को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा. लेकिन बिहार सरकार ने इस नियम को बदल दिया है. इसके बाद बिहार सरकार के परिहार बोर्ड की तरफ से आनंद मोहन को रिहा करने की सहमति देने की बात सामने आ रही है.

विरोध में खड़े होने लगें लोग

अब इसको लेकर दलित नेताओं की तरफ से इसका विरोध भी किया जाने लगा है. इसको लेकर सबसे तीखा विरोध बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि “ बिहार की नीतीश सरकार द्वारा, आन्ध्र प्रदेश (अब तेलंगाना) महबूबनगर के रहने वाले गरीब दलित समाज से आईएएस बने बेहद ईमानदार जी. कृष्णैया की निर्दयता से की गई हत्या मामले में आनन्द मोहन को नियम बदल कर रिहा करने की तैयारी देश भर में दलित विरोधी निगेटिव कारणों से काफी चर्चाओं में है.  

आनन्द मोहन बिहार में कई सरकारों की मजबूरी रहे हैं, लेकिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम श्री कृष्णैया की हत्या मामले को लेकर नीतीश सरकार का यह दलित विरोधी व अपराध समर्थक कार्य से देश भर के दलित समाज में काफी रोष है. चाहे कुछ मजबूरी हो किन्तु बिहार सरकार इस पर जरूर पुनर्विचार करे.”

बता दे सिर्फ मायावती ही नहीं बल्कि देश के कई और दलित नेताओं ने भी आनंद मोहन की रिहाई को लेकर आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है. SC-ST आयोग की राष्ट्रीय अध्यक्ष इंदु बाला ने कहां है कि बिहार सरकार खुद दोषी है. बिहार के अपराधियों को बचाने के लिए कानून को ही बदल दिया. बिहार सरकार और क्या क्या कर सकती है. यह समझ से बिल्कुल अलग है. ऐसे में क्या बिहार में अनुसूचित जाति के लोग खुद को सुरक्षित महसूस करेंगें. हमें जवाब चाहिए की आखिर किसी नियम के तहत आनंद मोहन को रिहाई की जा रही है.

Related Articles

Back to top button