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केंद्र सरकार से ‘वन नेशन वन बिजली रेट’ लागू करने की मांग कर रही बिहार सरकार…

DESK : मध्यप्रदेश को 3.49, गुजरात को 3.74, महाराष्ट्र को 4.32 और राजस्थान को 4.46 रूपये प्रति यूनिट के दर से तो वहीं बिहार को 5.82 रूपये प्रति यूनिट के दर से बिजली क्यों मिलती है?

विद्युत विनमायक बढ़ाये गए बिजली दर का बोझ आम लोगों पर नहीं पड़े इसके लिए राज्य सरकार ने 13414 करोड़ रुपया सब्सिडी के रूप में खर्च करने की घोषणा की हैl मुख्यमंत्री लगातार यह बात कहते रहे हैं कि ‘वन नेशन वन इलेक्ट्रिक टैरिफ’ लागू किया जाए पर ग़रीब राज्य बिहार के साथ लगातार सौतेला व्यवहार करने वाली केंद्र सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दियाl आज जहां एक ओर मध्यप्रदेश को 3.49 रूपये प्रति यूनिट, गुजरात को 3.74, महाराष्ट्र को 4.32 और राजस्थान को 4.46 रूपये प्रति यूनिट के दर से बिजली मिलती है वहीं बिहार को 5.82 रूपये प्रति यूनिट के दर से मिलती हैl राज्य सरकार 13,114 करोड़ सब्सिडी देने जा रही है, इसके पहले 8895 करोड़ रुपए का भार वहन करती थी।

नीतीश ने सूबे की जनता से वायदा किया था कि हम बिजली की स्थिति में सुधार लाएंगे, यही नहीं उन्होंने यह भी कहा था कि इसकी व्यवस्था में अगर पूरे तौर पर सुधार नहीं कर पाएंगे तो 2015 में वोट मांगने तक नहीं जायेंगे। फलस्वरूप 2005 से पहले जहां उपभोक्ताओं की संख्या मात्र 24 लाख थी, अब यह बढ़कर एक करोड़ 61 लाख 82 हजार हो गयी हैl पहले जहां मात्र 700 मेगावाट इसकी खपत होती थी, आज लगभग 6 हजार मेगावाट की खपत होती है। बिहार में प्रतिव्यक्ति ऊर्जा खपत 86 यूनिट से बढ़कर आज 332 यूनिट हो गई है। सरकार ने ऑनलाइन बिजली बिल पेमेंट की सुविधा देने के साथ ही उपभोक्ताओं की शिकायतों के निवारण हेतु सुविधा एप की भी शुरुआत की है।

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बिजली के क्षेत्र में नीतीश जी ने अब तक 48 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए हैं। प्रदेश में 71,673 सर्किट किलोमीटर जर्जर तारों को बदलने का काम 2019 में ही पूरा कर लिया गया। आज उच्च क्षमता वाले 152 ग्रिडों से बिहार रोशन हो रहा है, वहीँ पॉवर स्टेशनों की संख्या 268 से बढ़कर 1098 हो गई है। किसानों के लिए सरकार ने 1329 करोड़ की नई योजनाएं स्वीकृत की, उनके लिए अलग से फीडर लगाया जा रहा है। 2005 के बाद 1,82,453 किसानों को बिजली कनेक्शन दिया गया है और सभी किसानों को सस्ती दरों पर मात्र 65 पैसे प्रति यूनिट बिजली दी जाएगी। यही नहीं हर घर कनेक्शन के लक्ष्य को 25 अक्टूबर 2018 को ही पूरा कर बिहार एक यूनिक राज्य बना। प्रदेश के सभी गांवों में बिजली पहुंच गई है, जहां 20 से 22 घंटे बिजली रहती है और बच्चे अब इसकी रोशनी में रात में भी पढ़ते- लिखते हैं।

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