
DESK : लोकसभा में बहुमत के लिए 272 सीटों की जरूरत होती है। इस समय भाजपा के पास 303 सीटें हैं। कांग्रेस के 53, डीएमके के 24, तृणमूल कांग्रेस के 23, वाईएसआर कांग्रेस के 22, शिवसेना के 19, जेडीयू के 16, बीजेडी के 12, बीएसपी के पास 10, टीआरएस के 9, एलजेएसपी के 6, एनसीपी के 5, टीडीपी के 3 और समाजवादी पार्टी के 2 सांसद हैं। इसके अलावा कुछ अन्य छोटी पार्टियों के भी सदस्य हैं। आधिकारिक तौर पर अभी नीतीश कुमार को केवल राजद का साथ मिला है। नीतीश कुमार की जदयू के 16 सांसद हैं। राजद का लोकसभा में कोई सदस्य नहीं है। पर्दे के पीछे समाजवादी पार्टी, एनसीपी, सीपीआई (एम) का भी साथ बताया जा रहा है। सपा के पास लोकसभा में केवल दो सदस्य हैं। इसके अलावा एनसीपी के 5 और सीपीआई (एम) के 3 सदस्य हैं। इस तरह से मौजूदा लोकसभा हिसाब से नीतीश कुमार के पास फिलहाल केवल 27 सांसदों का साथ है।
यह भी पढ़े: देश का विलेज ऑफ आईआईटीयंस: बिहार का वह गांव जहां करीब हर घर में मिलेंगे आईआईटीयंस….
तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं। इसके अलावा कांग्रेस से राहुल गांधी भी इस रेस में हैं। केसीआर की पार्टी के अभी 9 सांसद हैं, जबकि ममता की पार्टी के 23 सांसद हैं। सबसे ज्यादा कांग्रेस के पास सहयोगी पार्टियों को मिलाकर करीब 90 सांसदों का समर्थन है। इनमें कांग्रेस के अलावा डीएमके समेत कुछ अन्य दलों का भी साथ है।
बिहार में महागठबंधन में शामिल होने के लिए राजद नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को मनाया। बताया जाता है कि तेजस्वी ने ऑफर दिया कि लोकसभा चुनाव में उन्हें विपक्ष की तरफ से पीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाएगा और उनके पीएम बनने की स्थिति में बिहार की कमान तेजस्वी के हाथ में जाएगी। इसी शर्त पर राजद और जदयू का गठबंधन हुआ है।
ऐसा भी हो सकता है कि राजद की मदद से नीतीश को समाजवादी पार्टी का भी साथ मिल सकता है। अब नीतीश को चाहिए कि वह दक्षिण के राजनीतिक दलों को अपने साथ लाएं। इसके अलावा कांग्रेस की भूमिका भी काफी अहम है। बगैर कांग्रेस के नीतीश कुमार सरकार नहीं बना पाएंगे।