
DESK : बिहार में जब महागठबंधन की सरकार बनी थी. उस वक्त नीतीश कुमार ने एक बयान दिया था. जिस बयान की चर्चा अब हो रही है. बता दें कि 9 अगस्त 2022 को नीतीश कुमार ने भाजपा से अपना रिश्ता नाता तोड़ लिया. तेजस्वी यादव के साथ चले आए. उस वक्त उन्होंने कहा था कि अब मैं विपक्ष को एकजुट करने निकलूंगा. जब पूरा विपक्ष एकजुट हो जाएगा. तो आप देखिएगा हम भाजपा को 100 से नीचे उतार देंगें. उस वक्त बिहार भाजपा के तमाम नेताओं ने नीतीश कुमार का मजाक उड़ाया था. उन्होंने कहा था कि चले हैं मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखने.
जब बिहार से निकलेंगे तब पता चलेगा कि कितने प्रधानमंत्री के दावेदार है. राहुल गांधी अलग है. ममता बनर्जी अलग है. इस रेस में अरविंद केजरीवाल भी है. किस-किस को मनाते चलेंगे. इन तमाम सवालों पर नीतीश कुमार का जवाब था. एक बार बाहर निकलने दीजिए मुझे. यानी देश का दौरा करने दीजिए. तब पता लग जाएगा कौन-कौन विपक्ष की एकजुटता के लिए मानता है.
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ऐसे में अब जिस तरह की परिस्थितियां सामने आ रही है. भाजपा का पसीना छूट गया. सबसे पहले नीतीश कुमार ने राहुल गांधी को मनाया. उसके बाद अरविंद केजरीवाल को मनाया. बीते दिनों कोलकाता में उन्होंने ममता बनर्जी से मुलाकात करके उन्हें भी मना लिया. फिर लखनऊ जाकर अखिलेश यादव को भी मना लिया.
अब भाजपा को यह डर सताने लगा है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2024 में विपक्ष एकजुट हो जाएगा. अगर विपक्ष एकजुट हो गया. तो सबसे पहले बिहार, यूपी झारखंड, बंगाल, दिल्ली इन तमाम जगहों पर भाजपा को बड़ा झटका लगेगा. वहीं इसमें अहम भूमिका नीतीश कुमार की होगी. हालांकि आज भी नीतीश कुमार यह कह रहे हैं कि किसे प्रधानमंत्री बनाना है सब कोई मिलकर तय कर ले. मैं नहीं बनना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि विपक्ष एकजुट हो. ताकि भाजपा को सत्ता से हटाया जा सके.
अब पूरा विपक्ष एकजुट होने को तैयार है. साथ ही नीतीश कुमार के नेतृत्व को स्वीकार भी करने को तैयार है. अब देखने वाली बात यह है क्या वाकई में 2024 में नरेंद्र मोदी को नीतीश कुमार टक्कर देंगे.