
हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा के मुखिया जीतन राम मांझी NDA में शामिल होने की घोषणा कर दी है। कई दिनों तक चले राजनीतिक उठा-पटक के बीच अब यह साफ हो गया कि मांझी बीजेपी की नाव खेने वाले हैं। मिशन 2024 को बीजेपी बिहार में इसे बढ़त के रूप में देख रही है। वहीं कुछ राजनीतिक पंडितों का कहना है 2024 के लिए यह ऑपरेशन लोटस की शुरुआत है। 2024 के लोकसभा चुनाव में छोटी पार्टियों की भूमिका अहम रहने वाली है। इस बात को विपक्षी पार्टियां पहले ही समझ गयी थी। बीजेपी को देर सवेर यह बात समझ आ गयी है इसलिए हम पार्टी को उसने एनडीए में शामिल कर लिया है। वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन का कहना है कि मांझी के पाला बदलने की भनक उन्हें पहले ही लग गई थी।
मांझी के एनडीए में जाने से क्या बदल सकता है?
महागठबंधन में छह से ज्यादा पार्टियां शामिल हैं। इस कारण आने वाले चुनावों में टिकट बंटवारे को लेकर समस्या आनी तय थी। हम पार्टी के अलग होने के कारण महागठबंधन में स्थिरता बनी रह सकती है। वहीं बात एनडीए की की जाए तो वहां मांझी के आने से टकराव की स्थिति बढ़ेगी। दलित राजनीति के नेताओं में भीड़ंत हो सकती है। पशुपतिनाथ पारस और चिराग पासवान पहले से ही एनडीए का हिस्सा हैं। वही मुकेश सहनी के VIP पार्टी के सभी विधायक भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि मांझी के लिए इस एनडीए में क्या बचा है। हलांकि मांझी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के साथ होने की बात कह रहे हैं। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी, मांझी के साथ कितना रह पाती है।