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इंडिया बनाम भारतः एक नया सियासी पैंतरा या कुछ और? India vs Bharat: A new political gimmick or something else

भारत के विभिन्न शहरों में G20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में वर्तमान में दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। परंपरा के अनुसार भारत के राष्ट्रपति रात्रि भोज का निमंत्रण देते हैं। इस निमंत्रण पत्र पर President of India की जगह President of Bharat लिखा था। जिसके बाद से इंडिया बनाम भारत को लेकर बयानबाजी शुरू हो गई।

बीजेपी ने क्या कहा?

India और Bharat को लेकर अभी खूब विवाद हो रहा है। बीजेपी के नेता INDIA शब्द को गुलामी का प्रतीक बता रहे हैं। बीजेपी नेताओं का कहना है कि इंडिया की जगह भारत लिखने में क्या आपत्ति है। बीजेपी नेताओं ने आगे कहा कि राष्ट्रगान में भी भारत भाग्य विधाता है। हमारे वेद और पुराणों में भी भारत शब्द का ही उल्लेख है। भारत शब्द को गौरव बोध से जुड़ा  और इंडिया गुलामी की याद दिलाता है।

विपक्ष ने क्या कहा?

वहीं विपक्ष के नेताओं ने इस बीजेपी की साजिश बताया। उनका कहना है कि इंडिया नाम का गठबंधन बनाया गया जिसके कारण ये हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अगर कल गठबंधन अपना नाम भारत करेगी तो क्या ये लोग इसे भी बदल देंगे। विपक्ष ने आगे कहा कि उनके स्लोगन में तो भारत शब्द भी है तो इसे भी बदल दीजिए। विपक्ष का कहना है कि इंडिया गठबंधन से NDA पूरी तरह डर गया है। ये फैसले उसी डर और बौखलाहट का परिणाम है।

क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट?

2016  में देश का नाम सिर्फ भारत रखने की मांग सुप्रीम कोर्ट जा चुकी है। एक याचिका के माध्यम से देश का नाम ‘इंडिया’ की जगह  ‘भारत’ रखने की मांग हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। उस समय  चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर थे। ऊन्होंने ने कहा था, आप भारत बुलाना चाहते हैं तो बुलाइए. जिसे इंडिया बुलाना है उसे भी आजादी है।

वर्ष 2020 में फिर से सुप्रीम कोर्ट में ऐसी ही याचिका दायर हुई। सुप्रीम कोर्ट ने फिर से याचिका खारिज हो गई। इस समय चीफ जस्टिस एसए बोबड़े थे। उन्होंने कहा था, ‘भारत और इंडिया, दोनों ही नाम संविधान में दिए गए हैं।

अगर देश का नाम सिर्फ भारत हुआ तो क्या होगा?

भारत सरकार के द्वारा कई ऐसे पहचान पत्र हैं जिनपर INDIA लिखा हुआ है। आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट जैसे अनगिनत कागजातों पर नाम बदलने होंगे। एक आदेश के बाद सबकुछ बदल जाएगा।  सरकार के बहुत सारे संस्थान के नाम में इंडिया आता है। उनसे संबंधित बदलाव करने होंगे। देश की मुद्रा में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया लिखा है इस लिहाज इन्हें भी बदलना पड़ेगा। कुल मिलाकर यह बहुत ही खर्चिली प्रक्रिया हो सकती है।

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