
Patna: दुनिया में शिक्षा का प्रकाश फैलाने वाला नालंदा विश्वविद्यालय ज्ञान की धरोहर है।ज्ञान का अंतरराष्ट्रीय केंद्र रहे इसके गौरवशाली अतीत की पुनर्स्थापना हो रही है। विश्वविद्यालय के भवनों की बनावट पुराने नालंदा विश्वविद्यालय को ध्यान में रखते की जा रही है।राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस परियोजना में खासी दिलचस्पी ले रहे हैं।
नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए मनमोहक रूप को देखकर किसी भी बिहारी को गर्व की अनुभूति होगी। इसके साथ ही बिहार के गौरवशाली अतीत की पुनर्स्थापना हो रही है। विश्वविद्यालय का कैंपस 445 एकड़ का है। कैंपस का डिजाइन अहमदाबाद के वास्तुशिल्प कंसल्टेंट ने तैयार किया है। निर्माण की कुल लागत 2700 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
नालंदा विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थी और प्राचीन नालंदा संग्रहालय, ब्लैक बुद्धा, ह्वेनसांन मेमोरिलय हॉल, पुष्पकर्णी तालाब संस्कृति ग्राम, बड़गांव सूर्य मंदिर, कुण्डलपुर, नव नालंदा महाविहार, रूकमिणी स्थान, जुआफरडीह स्तूप, चंडीमौ,सिलाव यहां की सबसे बड़ी विशेषता है।
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नालंदा भारत के विभिन्न क्षेत्रों से ही नहीं बल्कि जापान, चीन, कोरिया, तिब्बत, इंडोनेशिया तथा तुर्की समेत कई देशों के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे।नालंदा के विशिष्ट शिक्षाप्राप्त स्नातक बाहर जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार करते थे। इसको नौवीं शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त थी।
नालंदा विश्वविद्यालय अत्यंत सुनियोजित ढंग से और विस्तृत क्षेत्र में बना हुआ स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना था। इसका पूरा परिसर एक विशाल दीवार से घिरा हुआ था जिसमें प्रवेश के लिए एक मुख्य द्वार था।एक बार फिर उसी भव्यता के साथ इसका निर्माण हो रहा है।