
विपक्षी गठबंधन के द्वारा अभी तक प्रधानमंत्री उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई है। लेकिन नीतीश कुमार ने अपनी तरफ से तैयारी शुरू कर दी है। जदयू अभी राज्यस्तरीय पार्टी है लेकिन इसके विस्तार के लिए भी कार्य होने लगे हैं। उत्तरप्रदेश से नीतीश कुमार के चुनाव लड़ने की संभावना है।नीतीश की उत्तरप्रदेश यात्रा से इसपर बहस तेज हो गई है।
जदयू ने इंडिया गठबंधन से अलग मध्यप्रदेश में लगगभग 30 उम्मीदवारों की घोषणा की है। उत्तरप्रदेश में 2019 में 20 सीटों पर जदयू ने चुनाव लड़ा था। अब बताया जा रहा है कि नीतीश दो नवंबर के बाद यूपी की यात्रा पर निकलेंगे। इस यात्रा की शुरुआत बनारस से होने वाली है। बनारस प्रधानमंत्री Narendra Modi का संसदीय क्षेत्र है। इस लिहाज से भी बनारस का महत्व बढ़ जाता है।
नीतीश की उत्तरप्रदेश यात्रा क्यों है खास?
Nitish की उत्तरप्रदेश यात्रा को खास नजर से देखा जा रहा है। उत्तर प्रदेश में OBC वोटर में कुर्मी समाज एक महत्वपूर्ण भूमिका में है। पूर्वांचल में कुर्मी वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। भाजपा की सहयोगी पार्टी अपना दल का भी वोट आधार कुर्मी वोटर ही हैं। ऐसे में नीतीश कुमार यूपी का दौरा करेंगे तो भाजपा को नुकसान हो सकता है। कुर्मी वोटर राष्ट्रीय राजनीति के नाम पर नीतीश कुमार के साथ जा सकती है। वहीं अगर सपा का साथ मिलता है तो यादव के साथ मुस्लिम वोटर का फायदा मिलेगा।
नीतीश कुमार और अखिलेश यादव की दोस्ती में धनंजय सिंह मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। धनंजय सिंह जौनपुर के पूर्व सांसद और जदयू को राष्ट्रीय महासचिव हैं। धनंजय सिंह ठाकुर समाज से आते हैं और अखिलेश यादव उनके नाम पर सहमत नहीं होंगे। धनंजय सिंह को लेकर जदयू और सपा में गतिरोध बढ़ सकता है। हलांकि धनंजय सिंह अभी पदयात्रा कर रहे हैं जिनमें नीतीश जी के शामिल होने की संभावना है।
यूपी में कहां से चुनाव लड़ेंगे नीतीश?
नीतीश कुमार Uttar Pradesh की दो लोकसभा सीट में से एक चुन सकते हैं। पहला फूलपुर लोकभा सीट है और दूसरा है मिर्जापुर। इसमें फूलपुर को लेकर सबसे ज्यादा संभावना जताई जा रही है। Phoolpur ऐतिहैसिक लोकसभा सीट है। यहां पार्टी कोई भी हो लेकिन उम्मीदवार अधिकांशतः कुर्मी यानि पटेल ही होता है। हलांकि इस सीट पर अतिपिछड़ा वर्ग के वोटरों का भी विशेष महत्व है। लेकिन अबतक पटेल उम्मीदवार के जीतने का प्रतिशत ज्यादा रहा है। वर्तमान में इस सीट से बीजेपी की जो सांसद हैं वो भी पटेल समाज की हैं।
क्यों अहम है फूलपुर की सीट?
वर्तमान में यह सीट BJP के पास है। इस सीट से नीतीश कुमार लड़ते हैं तो भाजपा को उसके घर में चुनौती मिलेगी। कुछ अन्य खासियत भी है जो फूलपुर को अहम बनाती है।
जवाहर लाल नेहरू यहीं से चुनाव जीतकर बने प्रधानमंत्री।
प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने भी यहीं से चुनाव जीता था।
यहां 20 फीसदी हैं कुर्मी मतदाता।
नीतीश कुमार भी कुर्मी समाज से आते हैं।
इस सीट से दो प्रधानमंत्री दो मुख्यमंत्री और एक उपमुख्यमंत्री रहे हैं सांसद।
ऐतिहासिक आनंद भवन और स्वराज भवन यहीं स्थित है।