पटना AIIMS के डॉक्टर अब बिहार के ग्रामीण इलाकों की PICU में भर्ती मासूमों के दिन की धड़कन सुनकर उनका इलाज कर सकेंगे। मासूमों की रिपोर्ट और जांच के साथ डिजिटल स्क्रीनिंग से इलाज की व्यवस्था का नया सिस्टम तैयार किया जा रहा है। यह कोरोना की तीसरी लड़ाई में बड़ा हथियार साबित होगा। बिहार के ग्रामीण इलाकों में स्थित हॉस्पिटल की PICU को पटना AIIMS से डिजिटली कनेक्ट करने के लिए कियोस्क तैयार किया गया है। पटना AIIMS कोरोना की तीसरी लहर में बड़ा हथियार तैयार कर रहा है। इसके लिए बच्चों के डॉक्टरों को ट्रेंड करने का काम किया जा रहा है। पटना AIIMS के शिशु रोग विभाग बिहार सरकार के स्वस्थ मंत्रालय के संयुक्त प्रयास से मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टर और नर्सों की PICU की ट्रेनिंग दी जा रही है। यह कोरोना की तीसरी लड़ाई को लेकर चल रही बड़ी तैयारी मानी जा रही है।
सोमवार को प्रशिक्षण का शुभारंभ किया गया। पटना AIIMS के निर्देशक डॉ पीके सिंह ने इस विशेष शिविर का शुभारंभ किया और कहा कि यह मील का पत्थर साबित होगा। AIIMS के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ सी एम सिंह, डीन डॉ उमेश भदानी और शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ लोकेश तिवारी, एडिशनल प्रोफेसर डॉ चंद्रमोहन, डॉ अरुण प्रसाद, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रताप पात्रा और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ प्रदीप, डॉ भावेश कांत और विभाग के सीनियर व जूनियर रेजिडेंट मौजूद की इसमें विशेष भूमिका है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले दिन सोमवार को बिहार में AES (अक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) की स्थिति के बारे में राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी एवं अपर निदेशक, NVBDCP (नैशनल वेक्टर बोर्न डिजीजी कंट्रोल प्रोग्राम) डॉक्टर अंजनी कुमार की तरफ से बताया गया। इसमें PICU SENSITIZATION AND OBSERVERSHIP PROGRAM की जानकारी दी गई। डॉ लोकेश का कहना है कि यह तीसरा संस्करण है जिसमें कुल 31 डॉक्टरों एवं नर्सों को 2 सप्ताह के लिए PICU की ट्रेनिंग दी जाएगी।
पटना AIIMS के PICU को राज्य के अन्य PICU से डिजिटल माध्यम से जोड़ने के लिए AIIMS पटना व स्टार्टअप क्लाउडसपीटल द्वारा निर्मित टेली–PICU कियोस्क काे दिखाया गया है। इस कियोस्क के माध्यम से अन्य PICU को एम्स पटना में तैनात वरीय चिकित्सकों द्वारा दूरस्थ परामर्श दिया जाएगा, जिससे PICU में भर्ती बच्चों की चिकित्सा में सहायता मिलेगी। कार्यक्रम में आज प्रतिभागियों को बीमार बच्चों का मूल्यांकन करने व PICU की कार्यप्रणाली और दस्तावेजों का लेखा-जोखा रखने के बारे बताया जाएगा। कार्यक्रम 2 सप्ताह तक चलेगा। इस ट्रेनिंग कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य के चिकित्सा व्यवस्था को सुचारू एवं सुदृढ़ बनाना है। पटना AIIMS के इस नए सेटअप से बिहार में मासूमों के इलाज में नई क्रांति आएगी। पटना AIIMS के शिशु रोग विभाग के HOD डॉ लोकेश कुमार ने बताया कि इस कियोस्क में मौजूद नई तकनीक जैसे हृदय ध्वनि सुनने के लिए डिजिटल स्टेथोस्कोप, डिजिटल ओटोस्कोप, डिजिटल डर्माटोस्कोप, के माध्यम से भर्ती बच्चों की वास्तविक समय में क्लिनिकल जांच की जा सकेगी। बच्चों के एक्स-रे, सी टी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, इकोकार्डियोग्राफी, मल्टी पारा मॉनिटर्स और ब्लड रिपोर्ट्स को भी ऑडियो विजुअल माध्यम से देखा जा सकेगा। इस कियोस्क के माध्यम से PICU में भर्ती बच्चों की 24 घंटे निगरानी वरीय चिकित्सकों द्वारा की जा सकेगी एवं आपातकाल के समय में उनका बहुमूल्य परामर्श लिया जा सकेगा।