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बिहार में दो ‘हनुमान’ रह गए खाली हाथ, चाचा मार गए बाजी तो नीतीश के खास ललन सिंह नहीं बन सके मंत्री

बिहार की राजनीति के दो हनुमानों को उनकी भक्ति का फल नहीं मिला है। दोनों को खाली ही रहना पड़ा। एक तरफ लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के चिराग पासवान राम-राम की रट लगाते रह गए, लेकिन उनके राम यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ नहीं सुना। चाचा पारस बाजी मार गए। उनको मोदी कैबिनेट में जगह मिल गई। उधर, जनता दल यूनाटेड (JDU) के सीनियर नेता ललन सिंह को भी अपने राम यानी नीतीश कुमार से काफी उम्मीदें थी, लेकिन उन्हें भी मंत्री पद नहीं मिला। वे भी आस ही लगाए रह गए। दोनों हनुमान में अंतर यह है कि चिराग खुद को चीख-चीख कर नरेन्द्र मोदी का हनुमान बताते हैं। उनके लिए अपने राजनीतिक नुकसान की भी परवाह नहीं करते हैं। वे चरणों में बैठने वाले हनुमान की तरह हैं। वहीं, नीतीश कुमार के हनुमान ललन सिंह चीख-चीख कर खुद को नीतीश कुमार का हनुमान नहीं बताते, बल्कि हनुमान की तरह काम करते हैं। फंसी नैया पार लगाते हैं। ललन सिंह चरणों में बैठने वाले हनुमान नहीं, बल्कि सखा भाव वाले, गले मिलने वाले हनुमान हैं।

नरेन्द्र मोदी के हनुमान ने बिहार में भाजपा को 21 सीटों के फायदे साथ 74 पर पहुंचा दिया। JDU 28 सीटों के नुकसान के साथ गिरकर 43 पर जा पहुंची। हनुमान चिराग की पार्टी LJP एक सीट मटिहानी से जीत पाई। राजकुमार सिंह जीते। अब बारी नीतीश के हनुमान की थी। सबसे पहले ललन सिंह ने राजकुमार सिंह को तोड़कर JDU में शामिल करवाया। दूसरा वार LJP के दिल्ली वाले गढ़ पर किया और उसके पांच सांसदों को तोड़ दिया। पांच सांसदों की टूट से पहले इसी साल 18 फरवरी को LJP के 18 जिलाध्यक्ष और 5 प्रदेश महासचिवों सहित 208 नेताओं को JDU में शामिल करवाया। बात कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी की अगुआई में कांग्रेस के चार MLC को तोड़ने की हो या RJD के पांच MLC को तोड़ने की, ललन सिंह ने गंभीरता से और चुपचाप ऑपरेशन को मुकाम तक पहुंचाया।

ललन सिंह और चिराग दोनों हनुमानों के समर्थकों को उम्मीद थी कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जरूर जगह मिलेगी, लेकिन राजनीति में इतनी जल्दी बहुत चीजें साफ नहीं होती। उस पर जब राम के रूप में नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार जैसे राजनीति के धुरंधर हो। मोदी के हनुमान का तो अब सब्र भी टूट रहा है। पहले उनकी झोपड़ी एक सीट पर सिमटी, उसके बाद पार्टी के पांच सांसद हाथ से निकले। अब केन्द्र में मंत्री पद उनको नहीं देकर चाचा विभीषण को दे दिया गया। कितना बर्दाश्त करेंगे हनुमान! बिहार की राजनीति के दोनों हनुमानों पर सबकी नजर है कि हनुमान नई राजनीतिक चाल क्या चलते हैं? लालू प्रसाद सब देख रहे हैं लालू की उंगलियों का एक्शन बिहार की राजनीति में भावी उथल-पुथल का इशारा कर रहा है।

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