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बिहार की राजनीति में आने वाले समय में होगी इन 4 युवा चेहरों की महत्वपूर्ण भूमिका

बिहार की राजनीतिक दलों की सियासत तेजी से बदल रही है. खसकर रीजनल पार्टियों की सियासत में हलचल कुछ ज्यादा ही तेज है. लेकिन सियासत के इस बदलाव में जो सबसे दिलचस्प तस्वीर दिख रही है वह है युवा राजनेताओं की. इस वक्त बिहार में कुछ युवा नेता अपनी खास अहमियत दिखा रहे हैं, जो आने वाले समय में बिहार की सियासत में महत्वपूर्ण खिलाड़ी के तौर पर उभर सकते हैं.

तेजस्वी यादव : युवा नेताओं की फेहरिस्त में सबसे ऊपर किसी नेता का नाम है, तो वह है तेजस्वी यादव का, जो फिलहाल नेता प्रतिपक्ष भी हैं और बिहार की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी राजद की कमान भी थामे हुए हैं. तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव में अपने दम पर सत्ता पक्ष को कड़ी टक्कर दी थी और सत्ता के नजदीक आते आते रह गए थे. लेकिन उसके बाद वे लगातार सत्ता पक्ष पर हमलावर हैं और खबर है कि बहुत जल्द राजद की कमान पूरे तौर पर थाम सकते हैं. इस बीच तेजस्वी यादव लगातार अपनी पार्टी को एक्टिव रख रहे हैं और इसी तेवर की वजह से वे इस वक्त बिहार की सियासत में सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी के तौर पर उभर चुके हैं. इनकी प्रमुख लड़ाई NDA से है, लेकिन उनके टार्गेट पर नीतीश कुमार सबसे ज्यादा रहते हैं. तेजस्वी लगातार इस कोशिश में हैं कि उनकी पार्टी सिर्फ MY समीकरण की पार्टी न रहे बल्कि A To Z की पार्टी बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं.

चिराग पासवान : लोजपा के चिराग गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की पार्टी टूट चुकी है और चिराग को झटका भी उनके अपने चाचा पशुपति कुमार पारस ने ही दिया है, जो केंद्र में मंत्री बन चुके हैं और लोजपा पर अपनी पूरी दावेदारी जता रहे हैं. चिराग ना सिर्फ अपने चाचा के खिलाफ बल्कि नीतीश कुमार और भाजपा के खिलाफ भी सड़क पर उतर कर जनता को ये बताने की कोशिश में हैं कि उनके साथ धोखा हुआ है और पिता रामविलास पासवान के जनाधार को अपने पाले में करने की कोशिश में लगे हुए हैं. चिराग की खासियत है कि वे युवा हैं, दलित राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं. इस वजह से उनकी भूमिका आने वाले समय में महत्वपूर्ण हो सकती है.

मुकेश सहनी : VIP पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी बिहार सरकार में मंत्री हैं और अति पिछड़ा समुदाय से आते हैं. इनके पास चार विधायक हैं और लगातार अपनी पार्टी के जनाधार को बढ़ाने में लगे हुए हैं. मुकेश सहनी बिहार के साथ-साथ बिहार के बाहर भी अपना जनाधार बढ़ाने में लगे हुए हैं और आने वाले उतर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने पार्टी के उम्मीदवार उतारने की कोशिश में लगे हुए हैं. मुकेश सहनी निषाद समुदाय से आते हैं और लगातार इस जाति में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं. इनकी इसी खासियत को देखते हुए भाजपा ने विधानसभा चुनाव में अपने साथ किया था. युवा और आक्रामक तेवर की वजह से मुकेश सहनी आने वाले समय में बिहार की सियासत में महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकते हैं.

संतोष मांझी : पूर्व मुख्यमंत्री जितन राम मांझी के पुत्र हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा यानी हम पार्टी के संतोष मांझी जो बिहार सरकार में मंत्री भी हैं, हम पार्टी की कमान पूरी तरह से थाम रखी है. वे बिहार से बाहर भी अपनी पार्टी के विस्तार में लगे हुए हैं. दलित राजनीति की सियासत करते हैं. खासकर मुसहर समुदाय पर पकड़ रखते हैं. साथ ही अपने पिता के जनाधार का भी फायदा मिलता है. उसके सहारे बिहार में दलित राजनीति को धार देने की कोशिश में लगे हुए हैं. ये तमाम नेता पचास साल से कम उम्र के हैं और इनकी पूरी राजनीति अभी बची हुई है. उम्र के साथ-साथ अनुभव और जनाधार बढ़ने से बिहार की सियासत में महत्वपूर्ण कड़ी होने जा रहे हैं.

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