
PATNA : 90 का दशक जहां पूरा भारत उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की ओर निहार रहा था वही बिहार इस दौर में अराजकता, आर्थिक दुर्दशा, ढांचागत विकास में शून्यता, भ्रष्टाचार से गुजरने में व्यस्त था। बिहार के इस दौर को जंगल राज के नाम से जाना जाता है जिसकी वजह से बिहार की ब्रांड छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और राज्य को पिछड़ेपन और अराजकता का सामना करना पड़ा जिसकी वजह से लोग बिहार से पलायन करने लगे। साल 2005 जब बिहार में एनडीए गठबंधन की सरकार बनी और मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार। मुख्यमंत्री बनते ही बिहार में बदलाव होना शुरू हो गया राज्य में तेजी के साथ कानून व्यवस्था में सुधार होने लगा अपराध पर अंकुश लगा और बिहार को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाने का सिलसिला शुरु हुआ।

2005 के बाद बिहार के बदलाव के बीते सफल 16 साल काफी मायने रखते हैं। जहां राजद ने 15 सालों के कार्यकाल में समाज को विभाजित किया। राजनैतिक फायदे के लिए जातिगत उपकरण का इस्तेमाल किया वहीं नीतीश कुमार ने सभी वर्गों को जोड़ कर रखा और 2016 में शराबबंदी का साहसिक फैसला लिया। इस दौरान अपराध में गिरावट रोड दुर्घटनाओं में कमी सामाजिक माहौल में सुधार देखने को मिला।
आंकड़ों की बात करें तो एनडीए शासनकाल में साक्षरता दर 70% के पार पहुंच गई। वही प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 2021-22 के मौजूदा कीमतों पर 7,57,000 करोड़ होने का अनुमान है।
वही वर्ष 2019-20 में जीएसडीपी में 11 फ़ीसदी की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई। साथ ही प्रदेश को हर छोटी से बड़ी जरूरतों को पूरा किया जा रहा है।
2005 के बाद राज्य सरकार द्वारा महिलाओं पर केंद्रित नीतियां लाई गई महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है साथ ही बालिकाओं को साइकिल प्रदान करने की क्रांतिकारी योजना को आप कभी भूल नहीं सकते। शिक्षा के लिए बच्चियों को प्रेरित करने के लिए प्रोत्साहन राशि देना। लड़कियां सिविल सेवा परीक्षा के लिए चयनित हो रही हैं। वायुसेना में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर रही हैं। वहीं लालू राबड़ी शासन में सेवा वितरण में बाधाएं उत्पन्न हुई थी। जिसकी जवाबदेही में सुधार करते हुए नीतीश कुमार ने कई फैसले ने इसी दिशा में उन्होंने तीनों क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित किया भूमि पंजीकरण वित्त एवं सूचना की स्वतंत्रता।
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वहीं 2000 में बिहार से झारखंड अलग होकर एक नया राज्य बन गया इसके वजह से अधिकांश औद्योगिक क्षेत्र और राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा। जिसके लिए नई औद्योगिक नीति पर बल दिया गया। 2005 के बाद बिहार में औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए बिहार इन्फ्राट्रक्चर डेवलपमेंट इन इनेबलिंग एक्ट 2006 लागू किया गया। राज्य में औद्योगिक एवं विकास की प्रक्रिया को तेज करने के लिए विकास औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 और बिहार स्टार्टअप नीति 2017 बनाई गई।
आपको बता दें प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट के साथ निश्चित योजनाएं हैं जिसमें युवा रोजगार शिक्षा कौशल विकास महिला सशक्तिकरण पर ध्यान देने के साथ-साथ इस एजेंडे का प्रमुख होकर बिजली-सड़क-पानी पर भी है। समाजवादी आन्दोलन की परम्परा एंव गौरव का बट्टा लगाने का काम भी इसी दौर में हुआ जब कांग्रेस के परिवारवाद एंव भ्रष्टाचार से लड़ने वाले सोशलिस्ट भी वैसा ही आचरण करने लगे। उत्तर प्रदेश बिहार समेत कई राज्यो के सामाजिक न्याय के नेता अपने परिवार को समृद्ध बनाने में लग गये। नीतिश कुमार ने इस धारा से विद्रोह कर नया रास्ता अख्तियार किया जिसमें सामाजिक न्याय समूचे समाज के लिए था परिवार को राजनिति के निर्णयो से दुर रखा। गरीबो के लिए संघर्ष करने वाले नेताओ पर आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के मुकदमे चलने लगे समाजवादी आन्दोलन की बुझती लौं में तेल डालकर उसकी ज्वाला को प्रज्वलित करने का कार्य नीतिश कुमार के नाम लिखा जायेगा।
आज बिहार प्रगति के पथ पर है समाज के वंचित वर्ग को निरंतर सशक्तिकरण की ओर अग्रसित करने के प्रयास जारी हैं सामाजिक एंव सांप्रदायिक सौहार्द बेमिसाल है इसलिए नीतिश ब्रांड एक उदाहरण बना, देश एंव राज्य के समग्र विकास का।